नई दिल्लीः भारत को 5वीं पीढ़ी का अमेरिकी एफ-35 विमान लेना चाहिए या नहीं? क्या रूस से लड़ाकू विमान लेने की योजना खत्म हो गई? स्वदेशी लड़ाकू विमानों की क्या स्थिति है? ये ऐसे सवाल हैं जो भारत की वायु शक्ति और रक्षा रणनीति से जुड़े हैं.
अमेरिकी एफ-35 फाइटर जेट एक आधुनिक पांचवीं पीढ़ी का विमान है, जिसमें कई तकनीकी खूबियां हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिया था कि भारत के लिए एफ-35 उपलब्ध हो सकता है. हालांकि, भारत ने अब तक अमेरिकी स्टील्थ फाइटर जेट नहीं खरीदा है. एफ-35 की लागत काफी अधिक होने की वजह से भारत इस पर विचार कर रहा है, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है.
भारत और रूस ने 2010 में संयुक्त रूप से पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट (FGFA) बनाने का समझौता किया था, जिसे बाद में भारत ने 2018 में रद्द कर दिया. भारत ने पाया कि इस विमान की लागत अधिक है और तकनीक भी सीमित थी. इसके बजाय भारत ने स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया.
भारतीय वायुसेना के पास 42.5 स्क्वाड्रन का आधिकारिक लक्ष्य है, लेकिन वर्तमान में केवल 31 स्क्वाड्रन ही सक्रिय हैं. कई पुराने लड़ाकू विमान रिटायर हो रहे हैं, जिससे इस संख्या को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो रहा है.
भारत 500 से अधिक नए लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बना रहा है, जिसमें स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस और AMCA शामिल हैं. इसके अलावा 83 तेजस मार्क-1A का ऑर्डर पहले ही दिया जा चुका है और 97 और विमान खरीदे जाने की संभावना है.
भारत ने अब तक विदेशी विमानों पर निर्भरता दिखाई है, लेकिन अब स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनना चाहता है, जिससे आर्थिक और सामरिक दोनों फायदे होंगे. इस तरह भारत के सामने कई विकल्प हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपनी वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए सही संतुलन कैसे बनाए.
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