आज भारत में शायद ही कोई ऐसा इंटरनेट यूजर होगा जिसने 'गूगल' का इस्तेमाल ना किया हो. चाहे जानकारी ढूंढनी हो, ईमेल भेजनी हो, यूट्यूब देखना हो या फिर रास्ता ढूंढना हो, गूगल हमारे डिजिटल जीवन का हिस्सा बन चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में गूगल की शुरुआत कब और कैसे हुई थी? कैसे केवल 5 लोगों की टीम से शुरू होकर यह कंपनी देश के करोड़ों लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई? आइए जानते हैं इस दिलचस्प सफर को.
भारत में गूगल की एंट्री: साल 2004 में रखी गई थी नींव
गूगल ने भारत में अपने सफर की शुरुआत 2004 में की थी. उस वक्त कंपनी ने बेंगलुरु (Bangalore) में अपना पहला ऑफिस खोला था. इस ऑफिस में महज 5 कर्मचारी थे. उस दौर में भारत में इंटरनेट की पहुंच बहुत सीमित थी और गूगल एक नया नाम था. लेकिन गूगल ने तभी तय कर लिया था कि भारत जैसे विशाल और संभावनाओं से भरे देश में वह लंबे समय तक निवेश करेगा.
धीरे-धीरे बढ़ता प्रभाव और विस्तार
बेंगलुरु ऑफिस के बाद गूगल ने हैदराबाद, गुरुग्राम और मुंबई में भी अपने ऑफिस शुरू किए. जैसे-जैसे देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़ती गई, गूगल ने अपनी सेवाएं और प्रोडक्ट्स को भारतीय जरूरतों के हिसाब से ढालना शुरू किया. गूगल मैप्स, गूगल ट्रांसलेट, गूगल सर्च और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स ने भारत में बड़ी तेजी से लोकप्रियता हासिल की. गूगल ने भारतीय भाषाओं में सर्च और अन्य सेवाओं को उपलब्ध कराकर गांव-देहात तक अपनी पहुंच बना ली.
डिजिटल इंडिया में गूगल की भूमिका
जब भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया, तब गूगल ने भी इसमें सक्रिय भागीदारी की. कंपनी ने इंटरनेट को हर भारतीय तक पहुंचाने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं जैसे Google Station के जरिए रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त वाई-फाई सुविधा दी गई.
आज की स्थिति: गूगल भारत में कहां खड़ा है?
आज गूगल का भारत में स्टाफ सैकड़ों में नहीं, हजारों में है. गूगल इंडिया की हेड संजय गुप्ता हैं, जो 2019 में इस पद पर नियुक्त किए गए थे. गूगल की पैरेंट कंपनी Alphabet Inc. ने भारत में कई स्टार्टअप्स में निवेश किया है और Google Pay जैसी सेवाएं लॉन्च की हैं, जो आज देश की एक प्रमुख डिजिटल पेमेंट सेवा बन चुकी है. गूगल अब ना सिर्फ एक सर्च इंजन है, बल्कि भारत की डिजिटल इकोनॉमी का मजबूत स्तंभ बन चुका है.