भारत में बना हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर 'प्रचंड' अब और भी खतरनाक और सुरक्षित होने जा रहा है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के इस हेलीकॉप्टर में अब एक नई और एडवांस तकनीक जोड़ी जा रही है, जिसका नाम है 'DIRCM', यानी Directed Infrared Counter Measure. ये सिस्टम हेलीकॉप्टर को दुश्मन की हीट सीकिंग मिसाइलों से बचाने में मदद करेगा.
क्या है प्रचंड हेलीकॉप्टर?
HAL द्वारा बनाया गया 'प्रचंड' भारत का पहला स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है. इसे खासतौर पर ऊंचे और मुश्किल इलाकों जैसे लद्दाख और सियाचिन में ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है. इसकी सर्विस सीलिंग करीब 21,000 फीट है. यह 20mm की गन, 70mm रॉकेट, मिस्त्रल-2 मिसाइल और एंटी-टैंक मिसाइल 'ध्रुवास्त्र' से लैस होता है. इसमें मॉडर्न सिस्टम लगे हैं जैसे हेलमेट डिस्प्ले, लेजर वार्निंग सिस्टम और मिसाइल वार्निंग सिस्टम. 2022 में इसे इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था. HAL को 156 और यूनिट्स का ऑर्डर मिल चुका है.
DIRCM तकनीक क्या0 है?
DIRCM यानी Directed Infrared Countermeasure एक लेजर बेस्ड डिफेंस सिस्टम है. जब दुश्मन की मिसाइल हेलीकॉप्टर की ओर आती है, तो ये सिस्टम उस मिसाइल को ट्रैक करता है और लेजर बीम के जरिए उसके सेंसर को ब्लाइंड कर देता है, जिससे मिसाइल अपने टारगेट से भटक जाती है. ये तकनीक पारंपरिक फ्लेयर्स से ज्यादा तेज और स्मार्ट मानी जाती है, क्योंकि यह खुद-ब-खुद काम करती है और पायलट को कोई एक्स्ट्रा एक्टिविटी करने की जरूरत नहीं होती.
प्रचंड में DIRCM क्यों जरूरी है?
हाल ही में HAL ने BEL (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड) और DRDO के साथ मिलकर इस तकनीक को प्रचंड में जोड़ने की योजना शुरू की है.
- यह सिस्टम हेलीकॉप्टर को खासकर पहाड़ी इलाकों में मिलने वाले मिसाइल अटैक्स से बचाएगा.
- यह भारतीय सेना की ऑपरेशनल सेफ्टी और टेक्निकल बढ़त को मजबूत बनाएगा.
- BEL इस सिस्टम को भारत में ही बना रही है, जिससे यह प्रोजेक्ट पूरी तरह स्वदेशी रहेगा.
- 2026-27 तक करीब 180 DIRCM यूनिट्स तैयार करने की योजना है, जो HAL के LCH बेड़े में लगाए जाएंगे.
क्यों है ये अपग्रेड गेमचेंजर?
आज के समय में जब छोटे हथियारों से भी बड़ा नुकसान किया जा सकता है, ऐसे में ये DIRCM तकनीक हेलीकॉप्टर को एक नई सुरक्षा देती है. इससे पायलट की जान सुरक्षित रहेगी, हेलीकॉप्टर दुश्मन के एरिया में ज्यादा देर टिक पाएगा और यह भारत की डिफेंस आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा.