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बगैर पायलट के उड़-उड़कर 'तबाही' मचाएगा ये देसी हेलीकॉप्टर, सियाचिन तक इंडियन आर्मी के लिए सफल रहा ट्रायल

HAL LUH autopilot: स्वदेशी ऑटो-पायलट सिस्टम हेलीकॉप्टर को खुद से कंट्रोल करने में मदद करेगा, जिससे पायलट पर काम का बोझ कम होगा और वे मिशन के अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे. साथ ही ऑपरेशन को अंजाम देने में मददगार साबित होगा.

बगैर पायलट के उड़-उड़कर 'तबाही' मचाएगा ये देसी हेलीकॉप्टर, सियाचिन तक इंडियन आर्मी के लिए सफल रहा ट्रायल
  • HAL ने LUH को ऑटो-मोड में किया सफल ट्रायल
  • सियाचीन जैसे इलाकों में भी कामगर होगा LUH

HAL LUH autopilot: इंडियन आर्मी की ताकत में दिन-ब-दिन इजाफा हो रहा है. जिनमें दुनिया के सबसे एडवांस सिस्टम से हथियारों को लैस किया जा रहा है. ऐसे में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने अपने लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर के लिए एक स्वदेशी ऑटो-पायलट सिस्टम का सफल उड़ान परीक्षण किया है. जो बदलते वक्त के साथ भारतीय सेना को मुश्किल हालातों में भी ऑपरेशन को अंजाम देने में मददगार साबित होगा. ऐसे में, आइए इसकी खासियत जानते हैं.

क्या है स्वदेशी ऑटो-पायलट सिस्टम?
ऑटो-पायलट सिस्टम एक कंप्यूटर-कंट्रोल सिस्टम होता है जो विमान या हेलीकॉप्टर को मैन्युअल कंट्रोल के बिना, खुद से उड़ाने में मदद करता है. HAL द्वारा विकसित यह स्वदेशी प्रणाली LUH के उड़ान कंट्रोल, दिशा, ऊंचाई और गति को स्थिर करने में मदद करेगी.

साथ ही, यह सिस्टम पायलट को लंबे मिशनों, खासकर खराब मौसम या मुश्किल इलाकों में राहत देगा. पायलट को लगातार हेलीकॉप्टर को नियंत्रित नहीं करना पड़ेगा, जिससे थकान कम होगी और वे अन्य महत्वपूर्ण कार्यों, जैसे कि निगरानी या संचार, पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे.

इसके इतर, यह सिस्टम हेलीकॉप्टर को स्थिर रखने में मदद करता है, खासकर जब मौसम खराब हो या हवा का दबाव कम हो. इससे उड़ान की सुरक्षा में काफी सुधार होगा और दुर्घटनाओं का खतरा कम हो जाएगा.

LUH क्यों है यह खास?
लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है. इसे खास तौर पर सियाचिन जैसे दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्रों सहित, पहाड़ी इलाकों और ऊंची जगहों पर काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. ऐसे में, स्वदेशी ऑटो-पायलट सिस्टम LUH की क्षमताओं को कई गुना बढ़ा देगा.

ऊंचाई वाले इलाकों में, हवा का दबाव कम होता है, जिससे हेलीकॉप्टर को स्थिर रखना मुश्किल हो जाता है. ऑटो-पायलट सिस्टम इसे स्थिर रखने में मदद करेगा. साथ ही, जब हेलीकॉप्टर निगरानी मिशन पर होता है, तो उसे एक ही जगह पर लंबे समय तक मंडराना पड़ता है. ऑटो-पायलट सिस्टम इस काम को आसान बना देगा, जिससे पायलट को मिशन की बेहतर जानकारी मिलती रहेगी.

ऐसे में, यह स्वदेशी तकनीक भारत को विदेशी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहने देगी. इसका मतलब है कि इसकी मरम्मत, रख-रखाव और अपग्रेड भारत में ही किए जा सकेंगे, जिससे लागत भी कम आएगी.

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