Indian Army Future Warfare: आधुनिक युद्धक्षेत्र को ध्यान में रखते हुए और सफलता के लिए त्वरित कार्रवाई करने के उद्देश्य से, भारतीय सेना ने सिक्किम में 'दिव्य दृष्टि' अभ्यास किया. अधिकारियों ने सोमवार को इसकी जानकारी दी. रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने कहा कि आधुनिक युद्धक्षेत्र में, अधिक देखने, शीघ्रता से समझने और त्वरित कार्रवाई करने की क्षमता ही सफलता का आधार होती है.
उन्होंने कहा, 'इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारतीय सेना ने हाल ही में 'दिव्य दृष्टि' अभ्यास किया. पूर्वी सिक्किम के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आयोजित इस अभ्यास में युद्धक्षेत्र जागरूकता, वास्तविक समय निगरानी और त्वरित निर्णय लेने में सुधार के लिए डिजाइन की गई नई तकनीकों का परीक्षण किया गया.'
जंग जैसा माहौल बनाकर अभ्यास
त्रिशक्ति कोर के सैनिकों ने असली जंग जैसे माहौल में मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) और ड्रोन सहित जमीनी प्रणालियों और हवाई प्लेटफार्मों के मिश्रण का उपयोग किया.
प्रवक्ता ने कहा कि एडवांस संचार प्रणालियों से जुड़े AI-सक्षम सेंसर का उपयोग एक प्रमुख विशेषता थी.
उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था ने कमांड सेंटरों के बीच सुचारू और सुरक्षित डेटा प्रवाह सुनिश्चित किया, परिस्थितिजन्य जागरूकता में सुधार किया और तेज व बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाया, जिससे सेंसर-टू-शूटर के बीच एक मजबूत संपर्क स्थापित हुआ.
सेना मुख्यालय की ओर से उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने अभ्यास और उसके परिणामों की समीक्षा की.
त्रिशक्ति कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल जुबिन ए मिनवाला ने कहा, 'दिव्य दृष्टि अभ्यास एक बड़ी सफलता रही है. हमने अत्याधुनिक तकनीकों का वास्तविक क्षेत्र परिस्थितियों में परीक्षण किया. इससे प्राप्त प्रशिक्षण भारतीय सेना में भविष्य की तकनीकों, सिद्धांतों और रणनीतियों को विकसित करने में मदद करेंगे, जिससे हम किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति और किसी भी भूभाग के लिए तैयार रहेंगे.'
अभ्यास का मुख्य फोकस
बेहतर परिचालन स्थितियों के तहत किए गए इस अभ्यास में खुफिया जानकारी, निगरानी और टोही (ISR), वास्तविक समय सेंसर-टू-शूटर लिंक और युद्धक्षेत्र की सामरिक और परिचालन परतों में सटीक लक्ष्यीकरण के लिए ड्रोन की प्रभावी तैनाती का प्रदर्शन किया गया.
प्रवक्ता ने कहा कि इसका प्राथमिक उद्देश्य, गतिशील निर्णय लेने के लिए स्तरीकृत निगरानी और समर्थन के माध्यम से सामरिक कमांडरों के लिए कमांड पहुंच और स्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ाना था.
हाल ही में पूर्वोत्तर क्षेत्र में आयोजित इस अभ्यास में युद्धक्षेत्र ड्रोन एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण उपकरणों का भी परीक्षण किया गया, जिसमें हवाई क्षेत्र में टकराव को खत्म करने, सुरक्षित संचार और विभिन्न शाखाओं एवं सेवाओं में समन्वय प्रोटोकॉल शामिल थे.
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