इंडियन एयरफोर्स में एक पायलट की कुर्सी तक पहुंचना आसान नहीं है, इसके लिए कड़ी मेहनत, लगन और एक तय प्रोसेस से गुजरना होता है. अगर आप भी देश के लिए आसमान में बाज की तरह उड़ना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है, जिसमें हम बताएंगे कि कैसे आप अपने इस सपने को पूरा कर सकते हैं.
इंडियन एयरफोर्स में पायलट बनने के रास्ते
इंडियन एयरफोर्स में पायलट बनने के कई तरीके हैं, जो आपकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन और उम्र पर डिपेंड करते हैं. मुख्य रूप से इसके तीन रास्ते हैं.
1. NDA के जरिए (12वीं के बाद)
नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) इंडियन एयरफोर्स में पायलट बनने का सबसे पहला और पॉपुलर रास्ता है. इसके लिए 12वीं क्लास साइंस स्ट्रीम से फिजिक्स और मैथ्स के साथ पास करने वाले अनमैरिड लड़के अप्लाई कर सकते हैं वहीं, कैंडिडेट के लिए एज लिमिट भी निर्धारित की गई है. आमतौर पर उम्र 16.5 से 19.5 साल के बीच होनी चाहिए.
जहां तक सवाल सिलेक्शन प्रोसेस की है. तो इसके लिए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) द्वारा कंडक्ट किया जाने वाला एक रिटन एग्जाम होता है, उसके बाद सर्विस सिलेक्शन बोर्ड (SSB) द्वारा लिए जाने वाले इंटरव्यू पास करने के बाद मेडिकल टेस्ट को पास करना होता है.
वहीं, NDA में 3 साल की ट्रेनिंग और फिर एयरफोर्स एकेडमी (AFA) में 1 साल की स्पेसिफिक फ्लाइंग ट्रेनिंग दी जाती है. बता दें, NDA के जरिए आने वाले कैंडिडेट्स को परमानेंट कमीशन मिलता है.
2. ग्रेजुएट्स के लिए ऑप्शन्स
अगर आप ग्रेजुएट हैं, तो आपके पास तीन रास्ते हैं.
पहला- AFCAT (एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट)- इसके लिए किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएट जिन्होंने 12वीं में फिजिक्स और मैथ्स पढ़ी हो या फिर बीई/बीटेक डिग्री वाले (कुछ परसेंटेज क्राइटेरिया के साथ). अनमैरिड लड़के और लड़कियां दोनों लोग अप्लाई कर सकते हैं. वहीं, फ्लाइंग ब्रांच के लिए एज लिमिट 20 से 24 साल तक होती है.
सिलेक्शन प्रोसेस में AFCAT के रिटन एग्जाम, SSB इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट को पास करना होता है. AFCAT के जरिए कैंडिडेट्स को शॉर्ट सर्विस कमीशन मिलता है, जिसे बाद में कुछ क्राइटेरिया पूरा करने पर परमानेंट कमीशन में बदला जा सकता है.
दूसरा- CDSE (कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज एग्जामिनेशन)- इसके लिए वे ग्रेजुएट अनमैरिड लड़के अप्लाई कर सकते हैं, जो 12वीं में फिजिक्स और मैथ्स नहीं लिए होते हैं, लेकिन टेक्निकल एंट्री के लिए ग्रेजुएशन में टेक्निकल स्ट्रीम हो सकती है. फ्लाइंग ब्रांच के लिए एज लिमिट 20 से 24 साल तक होती है.
वहीं, सिलेक्शन प्रोसेस में UPSC द्वारा कंडक्ट किया जाने वाला रिटन एग्जाम (CDSE), SSB इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट को पास करना होता है. सेलेक्शन के बाद CDSE के जरिए परमानेंट कमीशन मिलता है.
तीसरा- NCC स्पेशल एंट्री- NCC- एयर विंग के सीनियर डिविजन में 'C' सर्टिफिकेट रखने वाले ग्रेजुएट, जिन्होंने 12वीं में फिजिक्स और मैथ्स पढ़ी हो या फिर बीई/बीटेक डिग्री ली हो और उम्र 20 से 24 साल हो, वे अप्लाई कर सकते हैं
सिलेक्शन प्रोसेस में इसमें रिटन एग्जाम नहीं होता, सीधे SSB इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट होता है. वहीं, परमानेंट कमीशन और शॉर्ट सर्विस कमीशन लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग होता है.
3. सिलेक्शन प्रोसेस होती है एक कड़ी जर्नी
पायलट बनने का प्रोसेस सिर्फ रिटन एग्जाम पास करने तक ही सीमित नहीं होता है. इसमें कई लेवल होते हैं. रिटन एग्जाम में आपकी बेसिक नॉलेज और एप्टीट्यूड को टेस्ट करता है.
इसके बाद SSB इंटरव्यू होता है. यह 5 दिन का एक टफ प्रोसेस होता है, जिसमें साइकोलॉजिकल टेस्ट, ग्रुप टास्क और पर्सनल इंटरव्यू शामिल होते हैं. यहां आपकी लीडरशिप क्वालिटी, टीमवर्क और प्रेशर झेलने की कैपेसिटी को परखा जाता है.
इसके बाद, मेडिकल एग्जामिनेशन में आपकी फिजिकल और मेंटल फिटनेस चेक की जाती है. आंखों की रोशनी, हाइट, वेट और बाकी सभी मेडिकल स्टैंडर्ड्स का सही होना बहुत जरूरी होता है.
आखिरी में मेरिट लिस्ट सभी स्टेजेस को क्लियर करने के बाद निकलती है. एक फाइनल मेरिट लिस्ट बनती है, जिसमें टॉप कैंडिडेट्स को चुना जाता है.
ट्रेनिंग और सपना पूरा
सिलेक्ट होने के बाद, कैंडिडेट्स को हैदराबाद के एयरफोर्स एकेडमी में कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. इस ट्रेनिंग में ग्राउंड ट्रेनिंग और इंटेंसिव फ्लाइंग ट्रेनिंग शामिल होती है.
ट्रेनिंग के बाद, कैंडिडेट्स को फ्लाइंग ऑफिसर के रैंक पर कमीशन किया जाता है और वे इंडियन एयरफोर्स के बहादुर पायलट बन जाते हैं, जो देश की हिफाजत के लिए आसमान में उड़ान भरते हैं.
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