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इंडियन एयरफोर्स का MiG-29 लड़ाकू विमान बनेगा 'बमवर्षक', DRDO के 'स्मार्ट बम' से करेगा दुश्मनों का सफाया

भारतीय वायुसेना अपनी मारक क्षमता को और बढ़ाने जा रही है. अब IAF के अपग्रेडेड MiG-29UPG फाइटर जेट्स को DRDO द्वारा बनाए गए एक बेहद सटीक, नए 'प्रिसिजन गाइडेड बम' से लैस किया जाएगा. यह स्वदेशी बम MiG-29 की जमीन पर हमला करने की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा.

इंडियन एयरफोर्स का MiG-29 लड़ाकू विमान बनेगा 'बमवर्षक', DRDO के 'स्मार्ट बम' से करेगा दुश्मनों का सफाया
  • GPS से लैस होगा HSLD-Mk II बम
  • मिग-29 की मारक क्षमता को बढ़ाएगा

भारतीय वायुसेना की हवा से जमीन पर हमला करने की क्षमता कई गुना बढ़ने वाली है. जो न केवल दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करेगी. बल्कि, भारत को जंग के मैदान में कई गुना आगे भी रखेगी. बता दें, IAF अपने MiG-29UPG फाइटर जेट्स को DRDO के 'हाई स्पीड लो ड्रैग' यानी HSLD-Mk II प्रिसिजन गाइडेड बम से लैस करने की तैयारी में है. आइए जानते हैं क्या है ये बम और कैसे काम करता है.

HSLD-Mk II बम क्या है?
HSLD-Mk II एक अत्याधुनिक प्रिसिजन गाइडेड बम है. इसे DRDO के वैज्ञानिकों ने पुणे में डिजाइन किया है. इसकी खासियत है कि यह हाई स्पीड और लो ड्रैग यानी कम खिंचाव प्रोफाइल के साथ उड़ता है, जिससे यह अपने लक्ष्य तक तेजी से और सटीकता से पहुंचता है. 

साथ ही, इसमें एडवांस्ड गाइडेंस सिस्टम लगा होगा, जो इसे GPS से लैस 'स्मार्ट बम' बनाता है. इसका मतलब है कि यह अपने टारगेट पर पिनपॉइंट सटीकता से वार कर सकता है, जिससे दुश्मन के ठिकानों को भारी नुकसान होगा.

IAF के लिए HSLD-Mk II PGB क्यों है खास?
यह स्वदेशी PGB कई मायनों में गेम-चेंजर साबित होगा. HSLD-Mk II की सटीकता इतनी शानदार है कि यह दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों, बंकरों और सैन्य वाहनों को आस-पास के इलाकों को कम नुकसान के साथ नष्ट कर सकता है.

साथ ही, यह बम विभिन्न प्रकार के जमीन पर मौजूद लक्ष्यों को ध्वस्त करने में सक्षम होगा, जिससे IAF की जमीन पर हमला करने की क्षमता में काफी बढ़ जाएगी. वहीं स्वदेशी होने के कारण, यह विदेशी PGBs की तुलना में काफी किफायती होगा, जिससे देश के खजाने पर बोझ कम पड़ेगा.

मेक इन इंडिया से डिफेंस को बूस्ट
HSLD-Mk II का डेवलपमेंट और इंटीग्रेशन आत्मनिर्भर भारत की एक बड़ी सफलता है. इससे न केवल हमारी सेना मजबूत होगी, बल्कि देश में रक्षा निर्माण क्षेत्र में भी नई नौकरियां पैदा होंगी और तकनीकी विशेषज्ञता बढ़ेगी. यह भारत को भविष्य में एक प्रमुख रक्षा निर्यातक बनने की दिशा में भी एक कदम आगे बढ़ाएगा.

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