Tejas will be integrated with Uttam AESA Radar: भारत अपने तेजस फाइटर जेट को अधिक मजबूत बनाने के लिए कई बड़े कदम उठा रहा है. अब इसमें एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे यानी AESA रडार लगने वाला है, जिसकी पहली खेप 2026 से मिलनी शुरू हो जाएगी. पहली खेप में लगभग 33 उत्तम AESA रडार शामिल होंगे, जिन्हें तेजस Mk1A लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) से इंटीग्रेट किया जाएगा. इसके बाद तेजस विमान लंबी दूरी से खतरे को ट्रैक कर पाने की क्षमता हासिल कर लेगा.
DRDO ने निजी कंपनियों के साथ मिलकर विकसित किया
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन-DRDO और निजी क्षेत्र की कंपनी के सहयोग से उत्तम AESA रडार विकसित हो रहा है. शुरुआती 40 तेजस Mk1A जेट्स में इजरायल की ELTA सिस्टम्स के ELM-2052 फायर कंट्रोल रडार (FCR) लगे हुए हैं. अब 41वें जेट से उत्तम AESA रडार लगने शुरू हो जाएंगे. यह पारंपरिक मैकेनिकली स्कैन्ड रडार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेगा.
AESA रडार में क्या-क्या खास बातें?
मल्टी मोड ऑपरेशन: उत्तम AESA रडार हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से समुद्र मोड में काम करने की क्षमता रखता है.
हाई टारगेट ट्रैकिंग क्षमता: ये रडार कई लक्ष्यों को एक सटीकता के साथ ट्रैक कर सकता है.
इलेक्ट्रॉनिक बीम स्टीयरिंग: तेज और सटीक बीम नियंत्रण करने में भी सक्षम है.
आसानी से ट्रैक नहीं हो पाएगा: दुश्मन के सिस्टम से इस रडार का पता लगाने की संभावना कम होगी.
150 किमी दूर से तेजस पहचान लेगा हवाई खतरा
4.5-पीढ़ी का तेजस Mk1A फाइटर जेट इस रडार से लैस होने पर शक्तिशाली हो जाएगा, जिससे भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत में इजाफा होगा. इस रडार के लगने के बाद तेजस 150 किमी दूर से ही हवाई खतरे को ट्रैक कर लेगा. इसके बाद उसे नष्ट करने की प्रक्रिया को शुरू कर देगा. उत्तम AESA रडार का सफल इंटीग्रेशन तेजस Mk2 और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) जेट्स में भी हो सकता है.