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चीन LAC पर करता रहा गया तमाशा, भारत के तरकश में आए दो वज्र हथियार, जो मिनटों में ठिकाने ला देंगे अक्ल!

Zorawar Tank and Akash Prime Air Defense System: 2020 के गलवान विवाद के बाद भारत ने पहाड़ी क्षेत्रों में चीन को टक्कर देने के लिए दो हथियार विकसित किए. पहला, जोरावर टैंक है, जो 25 टन का हल्का टैंक है. यह 105mm गन और डुअल मिसाइल लॉन्चर से लैस है. दूसरा, आकाश प्राइम एयर डिफेंस सिस्टम है, जो 4500 मीटर ऊंचाई पर 25-30 किमी दूरी के लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है.

चीन LAC पर करता रहा गया तमाशा, भारत के तरकश में आए दो वज्र हथियार, जो मिनटों में ठिकाने ला देंगे अक्ल!
  • जोरावर डुअल एंटी-टैंक मिसाइल लॉन्चर से लैस
  • जोरावर एक 25 टन का हल्का टैंक है

Zorawar Tank and Akash Prime Air Defense System: भारत के खिलाफ चीन की साजिशें तेज हो गई हैं. भारत ने पहले ही ऑपरेशन सिंदूर में चीनी हथियारों को मात देकर अपनी ताकत दिखा दी है. अब बौखलाया हुआ चीन भारत के खिलाफ नई चाल चल रहा है. इसका हालिया नमूना LAC यानी Line of Actual Control पर देखने को मिला. दरअसल, रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन की गतिविधियां LAC पर तेज हो गई हैं. यही नहीं, अभी चीन ने एक सैन्य अभ्यास भी किया, जिसमे PCL-181 होवित्जर तोपों का उच्च हिमालयी क्षेत्रों में परीक्षण किया. इस अभ्यास में रोबोट आर्मी का भी इस्तेमाल हुआ. इसी बीच भारत ने चीन को टक्कर देने के लिए अपनी तैयारी कर ली है.

चीन को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब
साल 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान घाटी में विवाद हुआ. तब चीन के टाइप-15 टैंक इस इलाके में काम करने योग्य थे. इस पहाड़ी इलाके में भी चीन के पास आर्मी टैंक थे, जो लड़ सकते हैं. ऐसे में भारत को ये जरूरत महसूस हुई कि वह भी अपने पास ऐसे हथियार डेवलप करे जो पहाड़ी इलाकों में चीन को चुनौती दे सकते हैं.

भारत ने तैयार किए 2 खतरनाक हथियार
भारत ने चीन को पहाड़ी क्षेत्र में टक्कर देने के लिए दो घातक हथियार डेवलप कर लिए हैं:-

1. जोरावर टैंक
- जोरावर टैंक DRDO और निजी क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के संयुक्त सहयोग से बना है.
- यह एक 25 टन का हल्का टैंक है, जो पहाड़ी क्षेत्रों पर काम कर सकता है.
- यह बेल्जियम की जॉन कॉकरिल कंपनी की105mm हाई-प्रेशर गन से लैस है.
- जोरावर टैंक डुअल एंटी-टैंक मिसाइल लॉन्चर से लैस है.
- इस टैंक के प्रोटोटाइप का अगस्त 2025 में यूजर ट्रायल होगा.
- जोरावर रैंक का ट्रायल एक साल से लेकर 18 महीने तक चल सकता है.

2. आकाश प्राइम डिफेंस सिस्टम
- DRDO ने आकाश प्राइम एयर डिफेंस सिस्टम को विकसित किया है.
- लद्दाख में करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर इसका सफल परीक्षण हुआ.
- इस एयर डिफेंस सिस्टम को 4500 मीटर तक की ऊंचाई पर तैनात किया जा सकता है.
- इसकी मिसाइल लगभग 25-30 किलोमीटर की दूरी के टारगेट्स को किल कर सकती है.

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