DRDO developing these new Weapons: भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हालिया संघर्ष में पूरी दुनिया ने देसी हथियारों की ताकत देखी थी. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के नेतृत्व में भारत कई ऐसे हथियारों का निर्माण कर रहा है, जो आने वाले भविष्य में इंडियन मिलिट्री का पावर बनकर उभरेंगे. ये हथियार इतने शक्तिशाली साबित होंगे, जिसका अंदाजा दुश्मन भी नहीं लगा पाएगा.
क्या बोले DRDO चीफ?
DRDO के चीफ समीर वी. कामत की मानें तो भारत कई ऐसे आधुनिक सिस्टम विकसित कर रहा है, जो भविष्य में होने वाली जंग में भारत को अव्वल रखेंगे. अब तक ब्रह्मोस मिसाइल भारत की सबसे बड़ी देसी ताकत मानी जाती थी, लेकिन अब 5 ऐसे हथियार तैयार हो रहे हैं जो हथियार प्रतिस्पर्धा में भारत को कहीं आगे ले जाएंगे.
AMCA फाइटर जेट
- पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) बना रहा भारत.
- चीन-पाक के J-35 फाइटर जेट से मुकाबला करने में सक्षम होगा.
- AMCA का प्रोडक्शन मॉडल HAL नहीं, बल्कि एक पब्लिक प्राइवेट मॉडल में होगा.
- विमान स्टील्थ तकनीक, पावरफुल इंजन, उन्नत हथियार प्रणाली और AI-बेस्ड सिस्टम से लैस होगा.
Brahmos NG (Next Generation)
- ब्रह्मोस का अगला वर्जन यानी BrahMos-NG (नेक्स्ट जेनरेशन) तैयार हो रहा है.
- इसकी रेंज पुराने वाली ब्रह्मोस से अधिक रहने वाली है.
- यह पिछले वर्जन से हल्की, कॉम्पैक्ट और ताकतवर होगी.
-इसे तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमान में भी लगाया जा सकेगा.
डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW)
- ये लेजर और माइक्रोवेव बेस्ड एनर्जी वेपन होने वाले हैं.
- इनमें ऐसी ताकत है कि लेजर के दम पर ही टारगेट को नष्ट कर देंगे.
- इनके जरिये ड्रोन, मिसाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वेपन को निशाना बनाया जा सकता है.
- जरूरी बात ये है कि इसके इस्तेमाल के दौरान कोई धमाका या विस्फोट नहीं होता.
कुशा प्रोजेक्ट
- रूस के S-400 की तर्ज पर भारत भी कुशा प्रोजेक्ट के तहत डिफेंस सिस्टम बना रहा है.
- ये एक लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर सिस्टम होगा, जो तेजी से बनाया जा रहा है.
- ये सिस्टम मिसाइल की मदद से हवाई खतरे को हटा या नष्ट कर देगा.
- इस डिफेंस सिस्टम की रेंज 300 किलोमीटर के आसपास होगी.
हाइपरसोनिक वेपन
- भारत हाइपरसोनिक हथियारों को बनाने में भी तेजी से कदम बढ़ा रहा है.
- इसके लिए हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) और स्क्रैमजेट इंजन वाली क्रूज मिसाइल बना रहा.
- ऐसी उम्मीद है कि ग्लाइड व्हीकल का ट्रायल 2-3 साल में पूरा हो जाएगा.
- जबकि दूसरी ओर, स्क्रैमजेट सिस्टम की 1000 सेकंड तक सफल टेस्टिंग हो गई है.