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बूंद-बूंद को तरसेगा आतंकिस्तान; चिनाब का रोका पानी, किशनगंगा डैम पर भी तैयारी! जानिए इसके मायने

भारत ने बगलीहार डैम से चिनाब का पानी पाकिस्तान की ओर रोक दिया है और अब किशनगंगा डैम से झेलम पर भी ऐसा ही कदम उठाने की योजना है. यह कार्रवाई हालिया आतंकी हमले के जवाब में की जा रही है. 

बूंद-बूंद को तरसेगा आतंकिस्तान; चिनाब का रोका पानी, किशनगंगा डैम पर भी तैयारी! जानिए इसके मायने
  • भारत ने बगलीहार डैम से चिनाब का पानी रोका
  • पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा सीधा असर

पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार पाकिस्तान को भारत कहीं का नहीं छोड़ने वाला है. भारत चारों ओर से पाकिस्तान को घेरने में जुट चुका है. ऐसे में खबर है कि भारत ने जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले स्थित बगलीहार डैम से पाकिस्तान को जाने वाले चिनाब नदी के पानी का बहाव रोक दिया है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार अब किशनगंगा डैम से झेलम नदी पर भी इसी तरह का कदम उठाने की तैयारी में है. यह फैसला हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद लिया गया है.

बगलीहार डैम का रोका गया पानी
भारत ने जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में स्थित बगलीहार जलविद्युत परियोजना से बहने वाले चिनाब नदी के पानी को पाकिस्तान की ओर जाने से रोक दिया है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भारत अब किशनगंगा डैम से झेलम नदी पर भी इसी प्रकार की कार्रवाई की योजना बना रहा है. यह डैम पाकिस्तान को मिलने वाले पानी की मात्रा और समय दोनों को कंट्रोल करने की क्षमता रखता है.

बगलीहार और किशनगंगा दोनों डैम भारत के पास एक रणनीतिक विकल्प बनकर उभरे हैं, जिनके जरिए पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सकता है.

‘जल’ बना भारत का नया ब्रह्मास्त्र
भारत ने सिंधु जल संधि को फिलहाल स्थगित कर दिया है. सरकार का कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन को पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से नहीं छोड़ता, तब तक संधि का पालन नहीं किया जाएगा. यह संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी थी, जिसमें भारत को केवल 20% और पाकिस्तान को 80% पानी दिया गया था.

भारत के पूर्व पाकिस्तान उच्चायुक्त सतीश चंद्रा ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा, टयह एक ब्रह्मास्त्र है. पाकिस्तान पानी की भारी कमी झेल रहा है. अगर भारत ने अपने अधिकारों का पूरा उपयोग किया, तो पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है.’

भारत को क्या फायदा मिलेगा?
सतीश चंद्रा के मुताबिक, भारत अगर अपनी संधि के तहत मिलने वाले पानी को पूरी तरह से इस्तेमाल करे, तो उत्तर भारत में जल संकट काफी हद तक कम हो सकता है. वर्तमान में भारत के पास 40% जलग्रहण क्षेत्र है, लेकिन उसे केवल 20% पानी ही मिलता है. ऐसे में जल का इस्तेमाल देश हित में होना चाहिए.

पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका
इसके अलावा, पाकिस्तान को मिलने वाले पानी में कटौती का सीधा असर उसकी कृषि और सिंचाई व्यवस्था पर पड़ेगा. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी हद तक सिंचाई पर निर्भर है और जल की कमी वहां आर्थिक संकट को और गहरा कर सकती है. इससे भारत को रणनीतिक बढ़त मिल सकती है.

वहीं, बगलीहार डैम पहले भी भारत-पाक जल विवाद का विषय रहा है. पाकिस्तान ने इसके डिजाइन को लेकर विश्व बैंक में आपत्ति दर्ज कराई थी. वहीं, किशनगंगा परियोजना पर भी पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी लड़ाई लड़ी थी, पर भारत को उस विवाद में बढ़त मिली थी.

अब जब भारत ने इन दोनों डैम के जल प्रवाह को लेकर निर्णय लिया है, तो पाकिस्तान के सामने फिर से बड़ा जल संकट खड़ा हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के इस निर्णय से पाकिस्तान की सरकार पर आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने का दबाव बढ़ेगा.

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