US stryker Combat Vehicle Weakness: भारतीय सेना ने हाल ही में अमेरिका के स्ट्राइकर बख्तरबंद लड़ाकू वाहन (AFV) के ऑफर को ठुकरा दिया. भारत को अमेरिका के इस कॉम्बैट व्हीकल में कई खामियां नजर आईं, जिस कारण बात नहीं बन पाई. भारत की भौगोलिक स्थिति के कारण ये आर्मी व्हीकल इंडियन मिलिट्री के हिसाब से फिट नहीं था. जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स द्वारा निर्मित इस 8x8 के व्हीकल में आर्मी ने कई कमियां खोज निकाल.
ट्रायल में नहीं कर पाया कमाल
इस व्हीकल को परखने के लिए भारत ने लद्दाख और सिक्किम के कठिन इलाकों में इसका ट्रायल लिया. इस ट्रायल के बाद भारत ने फैसला किया है कि इसे नहीं खरीदा जाएगा. इसकी बजाय किसी दूसरे ऑप्शन पर विचार किया जा सकता है. ज्यादा चांस इस बात के हैं कि भारत अपने ही किसी स्वदेशी प्रोडक्ट पर दांव खेल सकता है, इससे विदेशी निर्भरता भी कम होगी और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा मिलेगा.
US के कॉम्बैट व्हीकल में ये कमियां
1. अमेरिकी स्ट्राइकर में नदियों और जलभराव वाले इलाकों में चलने की क्षमता नहीं है. यह भारत की सीमाओं, खासकर पूर्वोत्तर और चीन से सटी LAC के पास के इलाकों में मजबूती से काम करने के लिए फिट नहीं है.
2. स्ट्राइकर का 350 हॉर्स पावर का कैटरपिलर सी7 इंजन लद्दाख जैसे ऊंचे इलाकों में कमजोर साबित हुआ. 18000 फीट की ऊंचाई पर इसका प्रदर्शन कम हो गया.
3. स्ट्राइकर में मिशन मॉड्यूल की सुविधा है, लेकिन यह भारत के रेगिस्तान, पहाड़ और बाढ़ग्रस्त मैदानों में आसानी से ऑपरेट नहीं हो पा रहा है.
FICV कार्यक्रम पर फोकस कर रहा भारत
अब भारत का ध्यान अपने स्वदेशी विकल्पों पर है. भारत भविष्य के इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (FICV) कार्यक्रम पर भी फोकस कर रहा है. यह कार्यक्रम अगली पीढ़ी के ट्रैक और पहिए वाले वाहनों को विकसित करेगा. टाटा, लार्सन एंड टुब्रो, और महिंद्रा जैसे प्राइवेट प्लेयर्स पुराने BMP-2 बेड़े को बदलने के लिए प्रोटोटाइप विकसित कर रहे हैं.