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ड्रैगन की छाती पर गरजेंगे सुखोई-राफेल, दुश्मन के हर मंसूबे होंगे फेल; जानें इंडियन एयरफोर्स की पूरी तैयारी

Nyoma airbase India: पूर्वी लद्दाख में भारत अपनी सैन्य ताकत को एक अभूतपूर्व स्तर पर पहुंचा रहा है. चीन से लगी सीमा के बेहद करीब एक नया एयरबेस तैयार हो रहा है, जो भारतीय वायुसेना की क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा और दुश्मन के हर इरादे को नाकाम कर देगा.

ड्रैगन की छाती पर गरजेंगे सुखोई-राफेल, दुश्मन के हर मंसूबे होंगे फेल; जानें इंडियन एयरफोर्स की पूरी तैयारी
  • LAC के करीब एयरबेस बना रहा है भारत
  • इंडियन एयरफोर्स की बढ़ेगी मारक क्षमता

Nyoma airbase for Indian AirForce: भारत, अपनी सीमा को न केवल अभेद्य बना रहा है. बल्कि, भविष्य में किसी भी खतरे से निपटने के लिए पाकिस्तान-चीन की सीमा के बेहद करीब, सैन्य ढांचा भी तैयार कर रहा है. ताकि किसी भी खतरे का माकूल जवाब दिया जा सके. इसी कड़ी में, LAC पर चीन की बढ़ती आक्रामकता और सैन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार के जवाब में, भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों को एक निर्णायक मोड़ दिया है. अक्टूबर 2025 तक न्याओमा में एक पूर्ण परिचालन योग्य फाइटर एयरबेस बना लेगा यानी यहां से राफेल-सुखोई जैसे लड़ाकू विमान पूरी तरह ऑपरेट होंगे.

LAC  पर बन रहा न्याओमा एयरबेस
चीन की सीमा के बेहद नजदीक, 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित न्याओमा एयरबेस बनाया जा रहा है. जो LAC से महज 50 किमी दूर है, जिससे यह भारत का सबसे ऊंचा फाइटर-कैपेबल एयरफील्ड बन जाएगा.

बता दें, BRO द्वारा प्रोजेक्ट हिमानक के तहत 2.7 किमी रनवे अक्टूबर 2025 तक पूरा होने वाला है, जिससे राफेल, सुखोई-30 MKI और LCA तेजस जैसे फाइटर जेट आसानी से उड़ान भर सकेंगे.

न्याओमा की LAC से सिर्फ 23 किमी की निकटता, लेह और थोइसे जैसे दूर के एयरबेस की तुलना में तुरंत प्रतिक्रिया समय और दुश्मन के ठिकानों पर त्वरित हमलों की क्षमता कई गुना बढ़ा देगा.

क्या होगी न्याओमा एयरबेस की खासियत?
इस एडवांस एयरबेस में बम-प्रूफ हैंगर, एक आधुनिक एयर ट्रैफिक कंट्रोल बिल्डिंग, गोला-बारूद बंकर और मजबूत शेल्टर जैसी सुविधाएं होंगी. इस परियोजना का नेतृत्व एक महिला कॉम्बैट इंजीनियर, कर्नल पोनंग डोमिंग कर रही हैं.

भारतीय वायुसेना ने अत्यधिक ठंड और ऊंचाई वाले वातावरण में संचालन के लिए फाइटर जेट इंजनों को भी अनुकूलित किया है, ताकि -40°C तक के तापमान में भी ऑपरेशन संभव हो सके.

DBO तक मिलेगा वैकल्पिक मार्ग
भारतीय सैनिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण, दौलत बेग ओल्डी (DBO) तक एक नया वैकल्पिक सड़क मार्ग भी बनाया जा रहा है, जो सियाचिन बेस कैंप के पास सासमा से शुरू होगा. बता दें, यह मार्ग 17,500 फीट पर सासेर ला दर्रे से गुजरेगा और श्योक नदी में उतरकर DBO रोड से जुड़ जाएगा, जिससे DBO तक एक छोटा और अधिक सुरक्षित रास्ता मिलेगा.

वहीं, मौजूदा 255 किमी लंबी दारबुक-श्योक-DBO (DSDBO) सड़क, जो LAC तक जाती है, चीन के ठिकानों के करीब होने के कारण संवेदनशील है. इस समस्या को दूर करने के लिए, BRO सासोमा-सासेर ला-सासेर ब्रांचगा-गपशान-DBO एक्सिस नामक एक वैकल्पिक सड़क का निर्माण कर रहा है, जिसके 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है.

क्या होंगे इसके रणनीतिक महत्व?
DBO का रणनीतिक महत्व काराकोरम दर्रे और अक्साई चिन के करीब होने के कारण है, जहां चीन ने तिब्बत में पांच एयरफील्ड और एडवांस बुनियादी ढांचा विकसित किया है. ऐसे में, वैकल्पिक सड़क DBO की लॉजिस्टिकल हब यानी रसद केंद्र के रूप में भूमिका को और बढ़ाएगी, जो नियमित AN-32 सॉर्टीज और संभावित फाइटर जेट के संचालन को संभव बनाएगी.

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