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भारत के इतिहास की सबसे लेट ट्रेन; जिसने 42 घंटे के सफर में लगाए 3 साल 8 महीने

भारत की सबसे लेट ट्रेन का रिकॉर्ड एक मालगाड़ी ने बनाया, जो विशाखापत्तनम से बस्ती तक 42 घंटे का सफर तय करने में 3 साल 8 महीने 7 दिन लेट हो गई. यह घटना रेलवे की लापरवाही और ट्रैकिंग सिस्टम की बड़ी खामी को उजागर करती है. व्यापारी को भारी नुकसान हुआ.

भारत के इतिहास की सबसे लेट ट्रेन; जिसने 42 घंटे के सफर में लगाए 3 साल 8 महीने
  • 3 साल 8 महीने और 7 दिन की देरी
  • व्यापारी को हुआ भारी नुकसान

रेलवे में ट्रेन लेट होना आम बात मानी जाती है, लेकिन जब देरी 3 साल 8 महीने और 7 दिन की हो जाए, तो यह रिकॉर्ड बन जाता है. यह कहानी एक ऐसी मालगाड़ी की है, जो आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती तक 42 घंटे में पहुंनी थी, लेकिन उसे इस सफर में करीब 1367 दिन लग गए. यह घटना भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे ज्यादा देरी की मिसाल बन गई है.

शुरुआत कहां से हुई?
साल 2014 की बात है, बस्ती जिले के व्यापारी रामचंद्र गुप्ता ने अपने खेतों के लिए डीएपी खाद मंगवाई थी. उन्होंने विशाखापत्तनम से 1316 बोरी डीएपी खाद मंगाई. 10 नवंबर 2014 को मालगाड़ी रवाना हुई. उम्मीद थी कि सिर्फ 42 घंटे में माल बस्ती पहुंच जाएगा. व्यापारी ने अपनी तैयारियां भी कर ली थीं.

फिर अचानक गायब हो गई ट्रेन
लेकिन आशा के विपरीत, ना तो ट्रेन आई और ना ही उसका कोई पता चला. व्यापारी ने कई बार रेलवे अफसरों से संपर्क किया, शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन हर बार एक ही जवाब मिलता, 'ट्रैकिंग में नहीं दिख रही है'. रेलवे विभाग भी इस गाड़ी का सही लोकेशन नहीं बता पा रहा था. ट्रेन का कोई अपडेट नहीं मिल रहा था.

कितनी हुई देरी?
यह मालगाड़ी 25 जुलाई 2018 को आखिरकार बस्ती स्टेशन पहुंची. यानी पूरे 3 साल, 8 महीने और 7 दिन बाद. एक ऐसा सफर, जो लगभग 42 घंटे में पूरा होना चाहिए था, उसने भारतीय रेलवे के रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज करा लिया.

इतनी ज्यादा देरी की वजह क्या थी?
जांच के बाद पता चला कि यह ट्रेन रास्ते में ही कहीं यार्ड में खड़ी रह गई थी. रेलवे के एक यार्ड में मालगाड़ी को खड़ा कर दिया गया और उसके बाद उसे वहीं भूल गए. रेलवे के रिकॉर्ड में भी इसकी सही जानकारी नहीं थी. जब व्यापारी की तरफ से लगातार शिकायतें होने लगीं, तब रेलवे को इस ट्रेन की याद आई. रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही और कमीशनिंग सिस्टम की खामियों की वजह से यह हालत हुई.

व्यापारी को कितना नुकसान हुआ?
व्यापारी रामचंद्र गुप्ता का कहना था कि इस देरी से उनका लाखों रुपये का नुकसान हो गया. खाद की बोरियां पूरी तरह खराब हो चुकी थीं. उन्होंने रेलवे से मुआवजे की मांग की, लेकिन प्रक्रिया बहुत धीमी रही.

रेलवे की सफाई और जवाबदेही
रेलवे अधिकारियों ने इस पूरे मामले में टेक्निकल गड़बड़ी और यार्ड मिसमैनेजमेंट को वजह बताया. लेकिन यह घटना दिखाती है कि मालगाड़ियों की ट्रैकिंग और रखरखाव सिस्टम में कितनी बड़ी खामियां हैं.

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