India 6th generation fighter jet: दुनिया में जितनी तेजी से युद्ध के तौर-तरीके बदल रहे हैं. भारत भविष्य की तैयारियों को लेकर कोई भी कसर नहीं छोड़ने वाला है. ऐसे में, भारत 5th जनरेशन के फाइटर जेट्स तक ही सीमित नहीं रहने वाला है. भारत की नजर अब भविष्य के 6th जनरेशन फाइटर जेट्स पर है. इसमें एक अहम डिजाइन 'फ्लाइंग विंग' कॉन्सेप्ट है, जो इसे रडार पर लगभग अदृश्य बना देगा. आइए पूरी तैयारी के बारे में जानते हैं.
6वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाने की तैयारी
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 5th जनरेशन के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) पर काम तेजी से कर रहा है, लेकिन भारतीय रक्षा विशेषज्ञ और वैज्ञानिक अब इससे भी आगे भविष्य की जंग के लिए 6th जनरेशन फाइटर जेट्स की प्लानिंग कर रहे हैं.
यह सिर्फ एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि एक ऐसा 'सुपर-वेपन' होगा जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एडवांस स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस होगा. इसी कड़ी में, फ्लाइंग विंग डिजाइन कॉन्सेप्ट पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है, जो इसे रडार से पकड़ना लगभग असंभव बना देगा.
6th जनरेशन फाइटर जेट क्या है?
6th जनरेशन के फाइटर जेट्स को भविष्य की हवाई युद्ध प्रणाली माना जाता है. ये विमान 5th जनरेशन के फाइटर जेट्स F-35 या Su-57 से भी कई गुना ज्यादा एडवांस होंगे. इनकी सबसे बड़ी खासियत ये लड़ाकू विमान या तो पूरी तरह से मानवरहित होंगे, या इनमें पायलट की उपस्थिति वैकल्पिक होगी.
इतना ही नहीं, 6th जनरेशन के फाइटर जेट्स एडवांस स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस होंगे. जिसकी मदद से रडार पर इन्हें पकड़ना और भी मुश्किल हो जाएगा. साथ ही ये विमान AI की मदद से खुद निर्णय लेने में सक्षम होंगे और इनमें अत्यधिक इंटीग्रेटेड सेंसर सिस्टम होगा. इन खूबियों के चलते ये विमान अन्य मानवरहित ड्रोन, सैटेलाइट और ग्राउंडेड सिस्टम के साथ कनेक्ट होकर घातक हमला करने में सक्षम होंगे. वहीं, भविष्य में इनमें लेजर जैसे एनर्जी वेपन भी देखे जा सकते हैं.
क्या है 'फ्लाइंग विंग' डिजाइन?
फ्लाइंग विंग एक ऐसा एयरोडायनामिक डिजाइन है जिसमें विमान में कोई पारंपरिक फ्यूजलेज यानी विमान का मुख्य धड़ या टेल नहीं होता, बल्कि पूरा विमान एक पंख की तरह ही दिखता है.
इसका सबसे बड़ा फायदा है इसकी अत्यधिक स्टील्थ क्षमता. चूंकि इसमें कोई वर्टिकल या हॉरिजॉन्टल स्टेबलाइजर नहीं होते जो रडार सिग्नल को वापस भेजें. ऐसे में यह रडार पर लगभग अदृश्य हो जाता है. साथ ही, इसका एयरोडायनामिक डिजाइन लंबी दूरी के लिए बेहतर फ्यूल एफिशिएंसी भी देता है.
बता दें, अमेरिका के B-2 स्पिरिट और B-21 रेडर जैसे स्टील्थ बॉम्बर इसी 'फ्लाइंग विंग' डिजाइन का इस्तेमाल करते हैं. भारत भी अपने स्टील्थ बॉम्बर प्रोजेक्ट के लिए इस डिजाइन पर विचार कर रहा है.
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