भारतीय वायुसेना के सबसे भरोसेमंद लड़ाकू विमान Su-30MKI को अब Super-30 अपग्रेड प्रोग्राम के तहत और ज्यादा ताकतवर बनाया जा रहा है. इस अपग्रेड के बाद यह विमान नई टेक्नोलॉजी से लैस होकर भविष्य की चुनौतियों के लिए और ज्यादा तैयार होगा.
क्यों जरूरी है यह अपग्रेड?
Su-30MKI फिलहाल एक पुराने मिशन कंप्यूटर MC-486 पर काम करता है. यह सिस्टम 1998 में बनाया गया था और अब तकनीकी रूप से काफी पीछे रह गया है. पुराने मिशन कंप्यूटर की वजह से रडार, हथियार और दूसरे सिस्टम की प्रोसेसिंग स्पीड सीमित हो गई थी.
नया मिशन कंप्यूटर: ज्यादा ताकत और रफ्तार
अब Su-30MKI में एक नया डिजिटल मिशन कंप्यूटर लगाया जा रहा है, जिसका नाम DFCC (Digital Flight Control Computer) है. इसमें 64-बिट PowerPC प्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया है. इसके साथ ही यह कंप्यूटर DO-178C Level-A सुरक्षा मानकों पर आधारित है, जो इसे और ज्यादा भरोसेमंद बनाता है.
इस नए सिस्टम की खासियतें:
तेज डेटा प्रोसेसिंग
बेहतर सेंसर फ्यूजन
तेज रडार और हथियार कंट्रोल
रियल टाइम मिशन फैसले लेने की क्षमता
Super-30 अपग्रेड का पूरा प्लान
Super-30 अपग्रेड प्रोग्राम के तहत कुल 84 Su-30MKI विमानों को अपग्रेड किया जाएगा. इस काम में HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) और DRDO मिलकर काम कर रहे हैं. अपग्रेड दो फेज में किया जाएगा.
पहले फेज में ये मुख्य बदलाव होंगे:
नया AESA रडार सिस्टम
उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट
स्मार्ट हथियारों के लिए बेहतर सपोर्ट
नया मिशन कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर
HAL की नासिक यूनिट में इन विमानों का अपग्रेड और टेस्टिंग की जाएगी. इसके लिए लगभग 4 से 5 साल का समय लग सकता है.
अपग्रेड के फायदे
इस अपग्रेड के बाद Su-30MKI में करीब-करीब 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स जैसी क्षमताएं आ जाएंगी. हालांकि, इसमें स्टील्थ तकनीक नहीं होगी, लेकिन बाकी मामलों में यह मौजूदा किसी भी एयरक्राफ्ट से कम नहीं होगा. यह अपग्रेड 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत किया जा रहा है.