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भारत का 'ध्रुव' बना और भी घातक, HAL ने किया ये बड़ा अपडेट

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अपने ध्रुव हेलीकॉप्टर पर पहली बार स्वदेशी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDR) का सफल उड़ान परीक्षण किया है. यह तकनीक भारतीय सेनाओं को सुरक्षित और बेहतर संचार क्षमता देने में मदद करेगी.  

भारत का 'ध्रुव' बना और भी घातक, HAL ने किया ये बड़ा अपडेट
  • ध्रुव पर स्वदेशी SDR टेस्ट सफल
  • अब संचार होगा और भी मजबूत
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Hindustan Aeronautics Limited (HAL) ने अपने एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर 'ध्रुव' पर पहली बार स्वदेशी Software Defined Radio (SDR) का उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. यह कदम भारत के डिफेंस कम्युनिकेशन को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है.

SDR क्या है और ये क्यों जरूरी है?
SDR यानी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो एक ऐसा रेडियो सिस्टम है, जो सिग्नल भेजने और पाने का काम सॉफ्टवेयर की मदद से करता है. पुराने रेडियो सिस्टम में ये काम हार्डवेयर से होता था, जो जल्दी अपग्रेड नहीं होते थे. इस रेडियो की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे आसानी से अपडेट किया जा सकता है, यह VHF, UHF और सैटेलाइट कम्युनिकेशन (SATCOM) जैसे अलग-अलग बैंड पर काम करता है और इसमें सुरक्षित कम्युनिकेशन (encryption) की भी सुविधा होती है.

ध्रुव हेलीकॉप्टर में SDR लगाने के फायदे
बेहतर कम्युनिकेशन: अब पायलट ग्राउंड टीम, दूसरे हेलीकॉप्टर और नौसेना के जहाजों से आसानी से और सुरक्षित बात कर सकेंगे.

सुरक्षित कनेक्शन: SDR के जरिए भेजी गई बातों को कोई बाहर का शख्स सुन नहीं सकता.

ताकतवर टेक्नोलॉजी: पुराने रेडियो सिस्टम की तुलना में SDR ज्यादा आधुनिक है और इसमें जामिंग (interference) से बचाव की भी ताकत है.

परीक्षण कैसे हुआ?
HAL ने जुलाई 2025 में ध्रुव हेलीकॉप्टर पर SDR का परीक्षण किया. इस दौरान हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी और रेडियो सिस्टम की हर स्थिति में जांच की गई जैसे आवाज की गुणवत्ता, डाटा ट्रांसफर, रेंज और खराब मौसम में प्रदर्शन. परीक्षण सफल रहा और SDR ने हर स्थिति में अच्छा प्रदर्शन किया.

भारत को क्या फायदा होगा?
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम: SDR पूरी तरह भारत में ही बनाया गया है, जिससे विदेशी सिस्टम पर निर्भरता कम होगी.

तीनों सेनाओं के लिए उपयोगी: SDR को अब धीरे-धीरे थल सेना, नौसेना और वायुसेना के दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर भी लगाया जा सकता है.

भविष्य में एक्सपोर्ट की संभावना: HAL इस टेक्नोलॉजी को एक्सपोर्ट के लिए भी तैयार कर सकता है, जिससे भारत को कमाई का एक और जरिया मिलेगा.

आगे की योजना क्या है?
अब इस SDR को और ज्यादा हेलीकॉप्टर और डिफेंस सिस्टम्स में लगाने की तैयारी की जा रही है. HAL इसे UAVs (ड्रोन), नौसेना के जहाजों और ग्राउंड सिस्टम्स में भी इस्तेमाल करना चाहता है.

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