यूरोपियन रक्षा संगठन OCCAR (Organisation for Joint Armament Cooperation) ने भारत को अपने आधुनिक Eurodrone का एक कस्टम वेरिएंट ऑफर किया है. इस ड्रोन को भारत की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जा सकता है. इसके लिए भारत का रक्षा अनुसंधान संगठन DRDO इस प्रस्ताव की गंभीरता से जांच कर रहा है.
Eurodrone क्या है?
Eurodrone एक मध्यम ऊंचाई वाला लंबी उड़ान अवधि वाला ड्रोन (MALE - Medium Altitude Long Endurance) है. इसे Airbus Defence, Dassault Aviation और Leonardo जैसे बड़े यूरोपीय कंपनियों ने मिलकर तैयार किया है. यह ड्रोन निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और टारगेट की पहचान जैसे कई कामों के लिए जाना जाता है.
भारत के लिए क्या खास ऑफर?
OCCAR ने भारत को Eurodrone का एक विशेष वेरिएंट देने की पेशकश की है. यह वेरिएंट भारत की सुरक्षा जरूरतों और वातावरण के हिसाब से बदला जा सकता है. इसमें भारतीय सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार सेंसर, संचार उपकरण और मिशन सॉफ्टवेयर जोड़े जा सकते हैं.
DRDO की टीम ने की Eurodrone साइट का दौरा
हाल ही में DRDO की एक टीम ने जर्मनी के म्यूनिख के पास स्थित Eurodrone के निर्माण स्थल Hallbergmoos का दौरा किया. वहां DRDO अधिकारियों को इस ड्रोन की डिजाइन, टेक्नोलॉजी और कार्यक्षमता के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. खास बात यह है कि Eurodrone की मॉड्यूलर स्ट्रक्चर के कारण इसे भारत के मौजूदा ड्रोन जैसे Tapas (Rustom-II) और Archer-NG के साथ तकनीकी रूप से जोड़ा जा सकता है.
भारत और OCCAR का पुराना रिश्ता
भारत अगस्त 2024 से Eurodrone प्रोजेक्ट में ऑब्जर्वर स्टेट (Observer State) के तौर पर शामिल है. इसका मतलब है कि भारत पहले से ही इस प्रोजेक्ट की प्रगति पर नजर रख रहा है. अब OCCAR का यह नया ऑफर भारत-यूरोप रक्षा संबंधों में और मजबूती ला सकता है.
भारत के लिए क्यों जरूरी है Eurodrone?
भारत को इस समय अपने बॉर्डर इलाकों और समुद्री क्षेत्रों में निगरानी के लिए बेहतर और आधुनिक ड्रोन सिस्टम की जरूरत है. Eurodrone की लंबी उड़ान क्षमता और उन्नत निगरानी तकनीक इसे भारत के लिए एक उपयोगी विकल्प बनाती है. साथ ही यह प्रोजेक्ट भारत की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत योजना में भी योगदान दे सकता है.
आगे क्या होगा?
फिलहाल DRDO इस प्रस्ताव पर तकनीकी और रणनीतिक पहलुओं से विचार कर रहा है. दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद आने वाले समय में सहयोग की औपचारिक घोषणा हो सकती है. यह साझेदारी भारत की डिफेंस टेक्नोलॉजी को नई ऊंचाई देने में मदद कर सकती है.