हाल ही में पाकिस्तान के एयर चीफ अमेरिका गए हुए हैं. ऐसे में पाकिस्तान ये आस लगाए बैठा है कि अमेरिका से उसे कुछ घातक हथियार मिल जाएंगे. इसके लिए पाकिस्तान, अमेरिका के दर पर जाकर अपनी नाक रगड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय नौसेना की समुद्री निगरानी क्षमता को और मजबूत करने के लिए भारत और अमेरिका के बीच 6 और P-8I मारिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट की डील को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है. यह विमान समुद्री सीमाओं की निगरानी, दुश्मन की पनडुब्बियों को खोजने और सतह पर मौजूद खतरों को खत्म करने में बेहद कारगर माने जाते हैं. भारत के पास पहले से ही 12 P-8I विमान मौजूद हैं और अब यह संख्या 18 तक पहुंच सकती है.
क्या है P-8I विमान?
P-8I पोसाइडन विमान अमेरिका की कंपनी बोइंग द्वारा बनाया गया है. यह एक लंबी दूरी तक उड़ने वाला मल्टी-रोल विमान है, जो खासकर समुद्री इलाकों में निगरानी और एंटी सबमरीन ऑपरेशन्स के लिए तैयार किया गया है. इस विमान में एडवांस रडार सिस्टम, सोनार सेंसर, और हथियार प्रणाली लगी होती है, जिससे यह समुद्र के अंदर छिपी पनडुब्बियों तक को खोज सकता है और उन्हें निशाना बना सकता है. साथ ही, इसमें मिसाइल और टॉरपीडो जैसी हथियार प्रणालियां भी मौजूद हैं.
सौदे की स्थिति और मंजूरी
भारत और अमेरिका के बीच यह सौदा लगभग 2.4 अरब डॉलर का हो सकता है. भारत की Defence Acquisition Council (DAC) ने इसे पहले ही मंजूरी दे दी थी, और अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट से भी अनुमति मिल चुकी है. अब दोनों देशों के बीच अंतिम समझौते की प्रक्रिया चल रही है. इस डील के तहत भारत को 6 और P-8I विमान मिलेंगे. इससे नौसेना की समुद्री निगरानी क्षमता काफी बढ़ेगी, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में जहां चीन की मौजूदगी बढ़ रही है.
P-8I की तैनाती और भूमिका
फिलहाल भारत के पास 12 P-8I विमान हैं, जिन्हें दो अलग-अलग नौसैनिक बेसों पर तैनात किया गया है.
INS राजली (अरक्कोनम, तमिलनाडु): यहां मुख्य रूप से पूर्वी समुद्री सीमा की निगरानी के लिए P-8I तैनात हैं.
INS हंसा (गोवा): पश्चिमी समुद्रतट की सुरक्षा के लिए इन विमानों का उपयोग होता है.
P-8I विमान भारत की समुद्री रणनीति में अहम भूमिका निभाते हैं. वे ना केवल निगरानी करते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर हमले की क्षमता भी रखते हैं.
आत्मनिर्भर भारत और घरेलू निर्माण
इस डील के जरिए भारत में रक्षा क्षेत्र में स्थानीय निर्माण को भी बढ़ावा मिलेगा. अमेरिका और भारत मिलकर P-8I से जुड़ी कुछ अहम तकनीकों, जैसे सोनार सेंसर (Sonobuoy), का निर्माण भारत में ही करेंगे. इससे घरेलू रक्षा कंपनियों को भी फायदा मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती मिलेगी.
भारतीय नौसेना को कैसे मिलेगा फायदा?
बेहतर समुद्री सुरक्षा: हिंद महासागर और अरब सागर में बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारत को उन्नत निगरानी सिस्टम की जरूरत है, जो P-8I से पूरी होगी.
चीन की चुनौतियों से निपटने में मदद: हाल के वर्षों में चीन की नौसेना की हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूदगी बढ़ी है. P-8I विमान इन गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने में सहायक होंगे.
सटीक हमले की क्षमता: यह विमान केवल निगरानी ही नहीं करते, बल्कि टॉरपीडो और एंटी-शिप मिसाइलों के साथ दुश्मन पर सटीक हमला करने में भी सक्षम हैं.