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जापानी I3 टेक्नोलॉजी इंडियन एयरफोर्स के लिए 'खजाना', सीधे 6वीं पीढ़ी का फाइटर जेट बनकर होगा तैयार; जानें कैसे

Indian Air force AMCA Japan I3 fighter program: जापान का I3 फाइटर प्रोग्राम भविष्य के लड़ाकू विमान बनाने के लिए था. जिसमें भारत भी शामिल था. हालांकि कुछ वजहों के चलते 2022 में इस प्रोग्राम को छोड़ना पड़ा लेकिन उस वक्त डेवलप की गई टेक्नोलॉजी इंडियन एयरफोर्स के लिए किसी खजाने से कम नहीं है.

जापानी I3 टेक्नोलॉजी इंडियन एयरफोर्स के लिए 'खजाना', सीधे 6वीं पीढ़ी का फाइटर जेट बनकर होगा तैयार; जानें कैसे
  • जापानी I3 टेक्नोलॉजी भारत के लिए वरदान
  • AMCA के लिए मिलेगी 6th Gen की ताकत
  • DEW हथियारों के डेवलपमेंट में मिलेगी मदद

Japan I3 fighter program can boost IAF AMCA: भारत अपने पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट और भविष्य के छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स को तैयार करने में जुटा है. ऐसे में, जापान के एक बंद हो चुके हाई-टेक फाइटर जेट प्रोग्राम की तकनीक भारत के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आई है. यह प्रोग्राम था जापान का 'I3' फाइटर प्रोग्राम, जिसे 2022 में रद्द कर दिया गया था, लेकिन इसकी तकनीक का खजाना अब भी मौजूद है. इंडियन एयरफोर्स इन तकनीकों का इस्तेमाल अपने फाइटर जेट्स को और भी ज्यादा शक्तिशाली और अत्याधुनिक बनाने के लिए कर सकता है.

क्या था जापान का 'I3' फाइटर प्रोग्राम?
जापान का 'I3' प्रोग्राम एक महत्वाकांक्षी छठी पीढ़ी के फाइटर जेट का कॉन्सेप्ट था. जिसे 'इंटिग्रेटेड, इंटेलिजेंट और इंस्टेंटेनियस' के नाम से जाना जाता था. इसका मकसद जापान के मिग F-2 फाइटर जेट्स को बदलना था. हालांकि, 2022 में जापान ने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया.

इसके बजाय, उसने ब्रिटेन और इटली के साथ मिलकर 'ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम' (GCAP) में शामिल होने का फैसला किया. लेकिन इस प्रोग्राम के तहत विकसित की गईं कई अत्याधुनिक तकनीकें अब भी मौजूद हैं. जिनमें इंजन, सेंसर और स्टील्थ टेक्नोलॉजी शामिल हैं, जो भारत के लिए ये बेहद मददगार साबित हो सकती हैं.

I3 की वो खासियतें जो भारत के काम आएंगी
जापान ने स्टील्थ को बढ़ाने के लिए सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) और मेटा-मैटेरियल्स का इस्तेमाल किया था. भारत के AMCA में पहले से ही रडार-अवशोषित मैटेरियल्स का इस्तेमाल होता है, लेकिन जापान की तकनीक से भारत अपने विमानों को रडार की पहुंच से और भी दूर कर सकता है.

इतना ही नहीं, I3 प्रोग्राम में IHI XF9-1 नाम का एक हाई-थ्रस्ट टर्बोफैन इंजन विकसित किया गया था, जिसमें थ्रस्ट-वेक्टरिंग नोजल की क्षमता थी. AMCA Mk1 में जनरल इलेक्ट्रिक F414 इंजन का इस्तेमाल होगा, लेकिन Mk2 को स्वदेशी हाई-थ्रस्ट इंजन की जरूरत होगी. ऐसे में, XF9-1 इंजन की तकनीक भारत के स्वदेशी इंजन विकास कार्यक्रम के लिए एक बड़ा गेम-चेंजर साबित हो सकती है.

वहीं, I3 के लिए गैलियम नाइट्राइड (GaN) सेमीकंडक्टर-आधारित AESA रडार विकसित किया गया था. यह तकनीक भारत के स्वदेशी AESA रडार को और भी ज्यादा ताकतवर बना सकती है. साथ ही, जापान के 'क्लाउड शूटिंग' कॉन्सेप्ट में AI-ड्रिवन मिशन सिस्टम और नेटवर्क-आधारित युद्ध शामिल था, जो भारत के AMCA को ड्रोन और अन्य संपत्तियों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता देगा.

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भारत के लिए कैसे बनेगी I3 एक गेम-चेंजर?
जापान की इन तकनीकों के ट्रांसफर होने से भारत को अपने स्वदेशी फाइटर जेट कार्यक्रमों में समय और लागत, दोनों की बचत होगी. गौरतलब है कि AMCA Mk2 को भारत को एक एडवांस इंजन की जरूरत है, और IHI XF9-1 की टेक्नोलॉजी इसमें तेजी ला सकती है. साथ ही, fly-by-light कंट्रोल सिस्टम से लड़ाकू विमान की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं में भी सुधार होगा.

छठी पीढ़ी के विमानों का सपना होगा पूरा
रिपोर्ट के मुताबिक, I3 ने लेजर और हाई-पावर माइक्रोवेव हथियारों पर भी रिसर्च किया था. यह रिसर्च भारत को छठी पीढ़ी के विमानों के लिए डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स (DEWs) डेवलप करने में बेहद मददगार साबित हो सकता है.

ऐसे में, भारत और जापान की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए, यह सहयोग दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है. जिससे भारत समय से बहुत पहले 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान से लैस हो सकता है.

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