BrahMos-A missile upgrade: भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को एक नए स्तर पर ले जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है. देश के सबसे घातक हथियारों में से एक ब्रह्मोस-A यानी ब्रह्मोस एयर-लॉन्च्ड सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की रेंज कई गुना बढ़ा दी गई है. यह फैसला रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और भारतीय वायुसेना के बीच हुई गहन बातचीत के बाद लिया गया है. इस अपग्रेड से भारत की स्टेंडऑफ क्षमता में भारी इजाफा होगा, जिससे दुश्मन के लिए भारत के रणनीतिक ठिकानों पर हमला करना और भी मुश्किल हो जाएगा.
ब्रह्मोस-A मिसाइल की कितनी बढ़ाई गई रेंज?
ब्रह्मोस-A मिसाइल. जिसे भारत के मुख्य लड़ाकू विमान सुखोई Su-30MKI से लॉन्च किया जाता है, अपनी मौजूदा 450 किलोमीटर की रेंज के साथ पहले से ही एक गेम-चेंजर साबित हुई है. मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, इंडियन एयरफोर्स ने सुखोई से 12-15 ब्रह्मोस-A मिसाइलें लॉन्च करके 11 पाकिस्तानी एयरबेस को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया था.
अब ब्रह्मोस-A मिसाइल की रेंज बढ़ाकर 800 किलोमीटर करने की तैयारी है. इसका मतलब है कि सुखोई Su-30MKI अब दुश्मन के एयर डिफेंस जोन से बहुत दूर रहकर भी दुश्मन के सबसे महत्वपूर्ण ठिकानों कमांड सेंटर, एयरबेस, और मिसाइल लॉन्चरों को आसानी से निशाना बना सकेगा.
कैसे संभव हुआ यह अपग्रेड?
ब्रह्मोस-A की रेंज में यह बढ़ोतरी मिसाइल की संरचना में कोई बड़ा बदलाव किए बिना की जाएगी. DRDO ने इसके लिए एक नई और आधुनिक तकनीक विकसित की है. रिपोर्ट के मुताबिक, मिसाइल के लिक्विड-फ्यूल वाले रैमजेट इंजन को इस तरह से अनुकूलित किया जाएगा कि वह अधिक ईंधन ले जा सके. साथ ही, DRDO द्वारा विकसित एक नया उच्च-ऊर्जा-घनत्व वाला ईंधन भी इसमें इस्तेमाल किया जाएगा.
वहीं, 800 किलोमीटर वाले संस्करण में एक स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली और एक स्वदेशी सीकर भी लगाया जाएगा, जो मिसाइल की सटीकता को कई गुना बढ़ा देगा. ये सभी बदलाव ब्रह्मोस-A को अपनी सुपरसोनिक गति को लंबी दूरी तक बनाए रखने में मदद करेंगे.
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क्यों जरूरी है यह अपग्रेड?
यह अपग्रेड भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. यह IAF को चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के भीतर गहराई में मौजूद सैन्य ठिकानों और महत्वपूर्ण ढांचों पर हमला करने की क्षमता देगा.
ऐसे में, सुखोई विमान को दुश्मन की सीमा के पास जाने का जोखिम नहीं लेना पड़ेगा, जिससे पायलट और विमान दोनों सुरक्षित रहेंगे. इस कदम से भारत की अभेद्य हवाई शक्ति और भी मजबूत होगी, जिससे क्षेत्र में भारत की स्थिति एक प्रमुख शक्ति के रूप में और पुख्ता हो जाएगी.
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