Indian Missile Brahmos: भारतीय वायुसेना की सबसे घातक मिसाइल, ब्रह्मोस के अपडेटेड वर्जन ब्रह्मोस NG मिसाइल को अब और भी घातक बनाने की तैयारी है. इसके लिए ब्रह्मोस के पूर्व सीईओ ने एक ऐसा मास्टरप्लान दिया है, जिससे दुश्मनों की नींद उड़ जाएगी. उनका कहना है कि ब्रह्मोस को इतना अपग्रेड करना होगा कि आने वाले 10-15 सालों में भी इसे पकड़ना लगभग नामुमकिन हो जाए.
'ब्रह्मोस NG मिसाइल' को अपग्रेड करने का सुझाव
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व सीईओ और एमडी रहे डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का एक्सपोर्ट बढ़ाना चाहिए. उनके मुताबिक, यह बहुत जरूरी है ताकि हथियार सिस्टम के अगली पीढ़ी के नए वेरिएंट्स यानी ब्रह्मोस NG के लिए ज्यादा से ज्यादा फंड जुटाया जा सके.
डॉ. मिश्रा ने आगे कहा कि हमें अगली पीढ़ी की प्रोपल्शन, स्टील्थ और टर्मिनल मैन्यूवरेबिलिटी यानी आखिरी पलों में रास्ता बदलने की क्षमता जैसी टेक्नोलॉजी में पैसा लगाना होगा.
क्या हैं ये नए अपग्रेड?
ब्रह्मोस एयरोस्पेस फिलहाल कई नए वेरिएंट्स पर काम कर रहा है. इनमें 800 किलोमीटर से ज्यादा रेंज वाला एक वर्जन, हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II (ब्रह्मोस-NG) और हवा से लॉन्च होने वाले या पनडुब्बी से छोड़े जाने वाले वेरिएंट शामिल हैं. ये सभी भारत की रणनीतिक क्षमता को और भी बढ़ाएंगे. ब्रह्मोस वैसे भी दुनिया की सबसे तेज और भरोसेमंद क्रूज मिसाइलों में से एक मानी जाती है, जिसकी स्पीड Mach 2.8 से 3.0 तक है और रेंज 290-450 किलोमीटर तक है.
ब्रह्मोस की मौजूदा ताकत और भारत का लक्ष्य
ब्रह्मोस जमीन, समुद्र और हवा तीनों जगहों से हमला करने की हमारी ताकत का एक बड़ा हिस्सा है. डॉ. मिश्रा ने कहा कि भारत को आर्थिक फायदे के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने और ज्यादा एडवांस वेरिएंट्स और उन्हें रोकने वाली टेक्नोलॉजी पर रिसर्च के लिए ज्यादा ब्रह्मोस मिसाइलें बेचनी चाहिए.
हाल के सालों में, भारत ने फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर का एक बड़ा सौदा किया है. दक्षिण पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका के कई दूसरे देश भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
कमाई क्यों है जरूरी?
डॉ. मिश्रा ने यह भी बताया कि इन सौदों से जो पैसा आएगा, वह ब्रह्मोस को लगातार अपग्रेड करने और उसे भविष्य में अनइंटरसेप्टेबल बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि दुश्मन भी अपनी मिसाइल डिफेंस सिस्टम और हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में खूब पैसा लगा रहे हैं, इसलिए भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि ब्रह्मोस हमेशा उनसे आगे रहे.
भारत 2025 तक सालाना 35,000 करोड़ रुपये के डिफेंस एक्सपोर्ट का टारगेट लेकर चल रहा है और ब्रह्मोस इसमें एक बड़ी भूमिका निभाएगा.\
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