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इंडियन एयरफोर्स को समय से पहले मिल रहा ये एयरक्राफ्ट, अगले महीने से बढ़ जाएंगी एयरलिफ्ट क्षमताएं

C-295 Aircraft: यह विमान वडोदरा में बन रहा है. वडोदरा स्थित यह सुविधा, जिसका उद्घाटन अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज द्वारा किया गया था. यह भारत के रक्षा विनिर्माण तंत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी.

इंडियन एयरफोर्स को समय से पहले मिल रहा ये एयरक्राफ्ट, अगले महीने से बढ़ जाएंगी एयरलिफ्ट क्षमताएं

Indian Air Force News: भारतीय वायु सेना (IAF) के आधुनिकीकरण प्रयासों को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा देते हुए, पुराने Avro  बेड़े को बदलने के लिए खरीदे गए 16 Airbus  सी-295 परिवहन विमानों में से आखिरी विमान अगले महीने भारत को सौंप दिया जाएगा, जो मूल निर्धारित समय से दो महीने पहले है.

यह उपलब्धि इस महीने की शुरुआत में स्पेन के सेविले में एयरबस डिफेंस एंड स्पेस की अंतिम असेंबली लाइन से 15वें विमान के आने के बाद मिली है. सितंबर 2021 में एयरबस के साथ हस्ताक्षरित 21,000 करोड़ रुपये का यह सौदा 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देते हुए भारत की एयरलिफ्ट क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

IAF का Avro बेड़ा
भारतीय वायु सेना के एवरो बेड़े, जिसमें 1960 के दशक में शामिल किए गए हॉकर सिडली एचएस 748 विमान शामिल हैं, इसको पुराने होने और उच्च रखरखाव लागत के कारण लंबे समय से बदलने की आवश्यकता थी.

C-295 की खासियत
C-295, एक मल्टी रोल और मजबूत मध्यम सामरिक परिवहन विमान है, जिसे छोटी और बिना तैयारी वाली हवाई पट्टियों सहित विविध परिस्थितियों में संचालन की क्षमता के लिए चुना गया था, जो इसे हिमालय से लेकर द्वीपीय क्षेत्रों तक, भारत के विविध भूभागों के लिए आदर्श बनाता है.

2021 के समझौते के तहत, एयरबस ने सितंबर 2025 तक सेविले से उड़ान भरने की स्थिति में 16 विमान देने की प्रतिबद्धता जताई थी. अगले महीने अंतिम विमान की शीघ्र डिलीवरी एयरबस की दक्षता और भारत और स्पेन के बीच मजबूत सहयोग को रेखांकित करती है. 

2026 तक और आएंगे
21,000 करोड़ रुपये के इस अनुबंध में भारत में 40 अतिरिक्त C-295 विमानों का उत्पादन भी शामिल है, जिनमें से पहला भारत निर्मित विमान सितंबर 2026 में तैयार होने की उम्मीद है. इन विमानों का निर्माण गुजरात के वडोदरा में एयरबस डिफेंस एंड स्पेस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) के बीच साझेदारी के माध्यम से स्थापित एक अत्याधुनिक सुविधा में किया जाएगा. शेष 39 विमानों की आपूर्ति 2031 तक निर्धारित है, जिससे भारतीय वायुसेना की रसद और सामरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी.

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