S-400 air defence system deliveries: ऑपरेशन सिंदूर जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ छेड़ा तो पाकिस्तान भी जवाबी हमला करने आया, लेकिन एक सिस्टम जिसने आतंकिस्तान की हवा खराब कर दी वो S-400 एयर डिफेंस सिस्टम था, जो इंडियन एयरफोर्स के अंडर आता है. पाकिस्तान के लिए यह ऐसा सिस्टम है, जिसने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी, क्योंकि इससे पाक के खूब हथियार खराब कर दिए. इस बीच अब भारतीय वायुसेना की ताकत और बढ़ने वाली है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान 26 जून को अपने रूसी समकक्ष एंड्री बेलौसोव के साथ उच्च स्तरीय वार्ता की. यह सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं थी. यह बैठक ऐसे समय में हुई जब भारत अपनी सेना को तेजी से और निर्णायक रूप से आधुनिक बनाने के लिए काम कर रहा है.
दोनों मंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति, सीमा पार आतंकवाद और द्विपक्षीय रक्षा प्राथमिकताओं की बढ़ती सूची सहित कई विषयों पर चर्चा की. सिंह ने बाद में X पर पोस्ट किया, 'हमने भारत-रूस रक्षा संबंधों को बढ़ाने पर गहन विचार-विमर्श किया.'
पाकिस्तान का झूठा दावा
यह द्विपक्षीय बैठक मई की शुरुआत में पाकिस्तान की सीमा पार शत्रुता के जवाब में भारत के सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही हफ्तों बाद हुई है. उस ऑपरेशन के दौरान एक दावा जो पाकिस्तान ने किया था वो ये उसने आदमपुर एयरबेस पर एक भारतीय एस-400 बैटरी को नष्ट कर दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे तौर पर उस दावे का खंडन किया. 13 मई को, उन्होंने आदमपुर एयरबेस का दौरा किया और उसी एस-400 सिस्टम से ऑल-टेरेन ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर-लॉन्चर के सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाई. इससे साफ हुआ कि पाकिस्तान ने झूठ बोला.
भारत का सैन्य नेतृत्व S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को अपने राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे के लिए महत्वपूर्ण मानता है. ये लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणालियां भारत के एकीकृत वायु रक्षा नेटवर्क की बाहरी ढाल बनाती हैं और सीधे भारतीय वायु सेना की कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) से जुड़ी होती हैं.
प्रत्येक S-400 स्क्वाड्रन में 128 मिसाइलों से भरी दो मिसाइल बैटरियां शामिल हैं. ये 120 से 380 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के बमवर्षक, लड़ाकू जेट, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और जासूसी विमानों को मार गिरा सकते हैं. वे लंबी दूरी के रडार और मोबाइल लॉन्चर वाहनों से भी लैस हैं.
और मजबूत होगी इंडियन एयरफोर्स, मिलेंगे और S-400
2018 में हस्ताक्षरित $5.43 बिलियन (₹40,000 करोड़) के समझौते के तहत, भारत को 2023 के अंत तक पांच S-400 स्क्वाड्रन मिलते थे. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस समय-सीमा को बाधित कर दिया. भारत को अब तक तीन स्क्वाड्रन मिले हैं और उन्हें तैनात किया जा चुका है. यह सिस्टम पाकिस्तान और चीन दोनों से खतरों को रोकने के लिए उत्तर-पश्चिम और पूर्व में तैनात हैं.किंगदाओ में रूस ने आश्वासन दिया कि वह 2026 में चौथा स्क्वाड्रन और 2027 तक पांचवां स्क्वाड्रन दे देगा.
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