Indian Air Force Helicopters: भारतीय वायु सेना (IAF) को अपनी भूमिकाओं को सुव्यवस्थित करने, परिचालन दक्षता बढ़ाने और सैन्य विमानन में वैश्विक रुझानों के अनुरूप ढलने के लिए अपने हमलावर और परिवहन हेलीकॉप्टर बेड़े को भारतीय सेना विमानन कोर (AAC) को ट्रांसफर करने पर विचार करना चाहिए. लड़ाकू विमानों और मानवरहित प्लेटफार्मों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करके, IAF हवाई श्रेष्ठता, गहरे हमले वाले अभियानों और अगली पीढ़ी के युद्ध में अपनी मुख्य दक्षताओं को निखार सकता है, जबकि AAC को निकट हवाई सहायता, सैन्य परिवहन और युद्धक्षेत्र रसद की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
यह पुनर्गठन लंबे समय से चली आ रही अंतर-सेवा बहसों का समाधान करेगा, संसाधन आवंटन को अनुकूलित करेगा और भारत के सशस्त्र बलों को उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगा.
इंडियन एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर
भारतीय वायु सेना वर्तमान में 22 बोइंग AH-64E अपाचे Longbows और 15 HAL लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) सहित हमलावर हेलीकॉप्टरों के एक बेड़े का संचालन करती है, साथ ही Mi-17, HAL ध्रुव और चेतक/चीता जैसे परिवहन हेलीकॉप्टर भी संचालित करती है. ये प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से जमीनी अभियानों, जैसे कि नजदीकी हवाई सहायता (CAS), सैन्य टुकड़ी की तैनाती और हताहतों को निकालने में सहायक होते हैं, जो सेना की युद्धक्षेत्र आवश्यकताओं के साथ निकटता से जुड़े होते हैं.
वहीं, 1986 में स्थापित AAC पहले से ही HAL ध्रुव, LCH और यूटिलिटी प्लेटफॉर्म सहित 400 से ज्यादा हेलीकॉप्टरों का संचालन कर रहा है और अपनी परिचालन स्वायत्तता बढ़ाने के लिए हमले और परिवहन संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण चाहता है.
दुनिया की मजबूत सेनाओं में क्या है व्यवस्था?
विश्व स्तर पर कई एडवांस सेनाएं अपनी सेना विमानन इकाइयों को हमले और परिवहन हेलीकॉप्टर की पूरी पहुंच देती हैं. उदाहरण के लिए अमेरिकी सेना की विमानन शाखा 700 से ज्यादा AH-64 अपाचे और हजारों ब्लैक हॉक और चिनूक हेलीकॉप्टरों का संचालन करती है, जिससे जमीनी बलों के साथ निर्बाध एकीकरण संभव होता है.
इसी तरह ब्रिटिश आर्मी एयर कॉर्प्स और रूसी आर्मी एविएशन अपने हेलीकॉप्टर बेड़े का प्रबंधन करते हैं, जिससे वायु सेनाएं फाइटर जेट और मानवरहित प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित कर पाती हैं.
यह मॉडल सुनिश्चित करता है कि जमीनी अभियानों से जुड़े हेलीकॉप्टरों का नियंत्रण कमांडरों द्वारा किया जाना चाहिए, जिन्हें युद्धक्षेत्र की जरूरतों की प्रत्यक्ष स्थितिजन्य जानकारी होती है, जिससे समन्वय में देरी कम होती है और प्रतिक्रियात्मकता बढ़ती है.
इंडियन एयरफोर्स का काम
भारतीय वायुसेना की प्राथमिक भूमिका हवाई श्रेष्ठता सुनिश्चित करना, रणनीतिक हमले करना और हवाई रक्षा बनाए रखना है, जो राफेल, SU-30MKIs और आगामी तेजस एमकेII सहित उसके लड़ाकू बेड़े के लिए सबसे उपयुक्त कार्य हैं. हालांकि, स्वीकृत 42 स्क्वाड्रनों के मुकाबले केवल 31 स्क्वाड्रनों के साथ, भारतीय वायुसेना को मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) और तेजस MkII जैसे कार्यक्रमों में देरी के कारण कमी का सामना करना पड़ रहा है. हेलीकॉप्टरों को ट्रांसफर करने से भारतीय वायुसेना अपने लड़ाकू बेड़े के आधुनिकीकरण, AESA रडार जैसी उन्नत प्रणालियों को एकीकृत करने और मानवरहित प्लेटफार्मों के विस्तार पर संसाधनों को केंद्रित कर सकेगी.
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