AMCA fighter jet Rolls-Royce Safran engine: भारतीय वायुसेना के लिए भारत देश में ही अपनी पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट बना रहा है. जिसके इंजन की चर्चा जोरों पर है. ऐसे में, DRDO की GTRE टीम इस पर काम कर रही है. उनके सामने दो बड़ी विदेशी कंपनियों के ऑफर हैं. फ्रांस की सैफरान और ब्रिटेन की रोल्स-रॉयस. दोनों ने ही AMCA Mk2 के लिए 110-130 kN पावर वाला नया इंजन बनाने की बात कही है. तो चलिए, जानते हैं क्या हैं इन दोनों कंपनियों के ऑफर और कौन सा भारत के लिए बेस्ट हो सकता है.
Rolls-Royce क्यों हो सकता है बेहतर?
GTRE टीम और रक्षा एक्सपर्ट्स की मानें, तो रोल्स-रॉयस (Rolls-Royce) का ऑफर सैफरान से कई मायनों में ज्यादा अच्छा लग रहा है. इसके पीछे कई वजह हैं.
एकदम नई तकनीक (6th Generation Tech)- रोल्स-रॉयस कह रहा है कि वो बिल्कुल नया, 'क्लीन-शीट' इंजन बनाएगा. इसमें वेरिएबल साइकिल इंजन (VCE) नाम की टेक्नोलॉजी होगी, जो छठी पीढ़ी के इंजनों की पहचान है.
ये तकनीक इतनी एडवांस है कि ये हमारे AMCA जेट को 30% ज्यादा दूरी तक जाने और 20% तेजी से रफ्तार पकड़ने में मदद करेगी. ये हमारे AMCA Mk2 की सारी जरूरतों को पूरा करेगा, जैसे कि आफ्टरबर्नर के बिना Mach 1.2+ पर उड़ना, रडार की पकड़ में न आना, और AI-ड्रिवेन ड्रोन के झुंड या लेजर हथियारों जैसे नए सिस्टम को सपोर्ट करना. वहीं, सैफरान का M88 इंजन थोड़ा पुराना है, जो 1980 के दशक की तकनीक पर बना है.
पूरा मालिकाना हक (Full IPR Ownership)- रोल्स-रॉयस ने कहा है कि वो 100% बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT) देगा. इसका मतलब है कि इंजन का डिजाइन, उसे बनाना और भविष्य में उसे अपग्रेड करना, सब कुछ भारत के कंट्रोल में होगा. हमें इसके लिए किसी को रॉयल्टी या परमिशन देने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
कई जगह इस्तेमाल- रोल्स-रॉयस सिर्फ AMCA के लिए ही नहीं, बल्कि 140-280 kN पावर वाले टर्बोफैन इंजनों का पूरा परिवार बनाने का ऑफर दे रहा है. इन इंजनों का इस्तेमाल इंडियन एयरफोर्स के बड़े मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और यहां तक कि सिविलियन जेट्स में भी हो सकता है. इससे हमें खर्चा कम करने में मदद मिलेगी और हम एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के एक्सपोर्टर भी बन सकते हैं.
सैफरान के ऑफर में क्या हैं चुनौतियां?
सैफरान का ऑफर उनके राफेल फाइटर जेट वाले M88 इंजन पर बेस्ड है. उन्होंने राफेल डील से जुड़े कुछ ऑफसेट वादों को निभाने और पुराने कावेरी इंजन प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की बात कही है. लेकिन, M88 चौथी पीढ़ी का इंजन है और सैफरान की IPR को अपने पास रखने की पुरानी आदत से कुछ चिंताएं हैं. रिपोर्ट्स कहती हैं कि AMCA की जरूरतों के लिए M88 में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं, जिससे इनोवेशन में दिक्कत आ सकती है.
वहीं, सैफरान ने हाल ही में 100% ToT और पूरा IPR देने की बात कही है, लेकिन पहले के अनुभव जैसे 2016-18 का कावेरी-M88 प्रोजेक्ट उनके वादों पर सवाल उठाते हैं. तब सैफरान ने जरूरी कंपोनेंट्स की टेक्नोलॉजी शेयर नहीं की थी और M88 के कोर IPR को अपने पास रखा था, जिससे भारत खुद से कुछ नया नहीं बना पाया था.
ये फैसला भारत के लिए सिर्फ एक इंजन चुनने से कहीं बड़ा है. ये हमारे देश की रक्षा आत्मनिर्भरता और आने वाले समय में एयरोस्पेस सेक्टर में हमारी काबिलियत को तय करेगा.
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