भारत अपनी उत्तरी सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है, खासकर उन सीमावर्ती इलाकों में जहां चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं. बता दें, भारतीय सेना और वायु सेना मिलकर स्वदेशी हाई-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्यूरेंस (HALE) ड्रोन बना रही है. ये ऐसे ड्रोन होंगे जो बहुत ऊंचाई पर लंबे समय तक उड़न सकेंगे और दुश्मनों पर लगातार नजर रख सकते हैं, जिसकी मदद से चीन और पाकिस्तान की हर हरकत पर पैनी निगाह रखी जा सकेगी. ऐसे में आइए जानते हैं, इस ड्रोन की असली ताकत क्या है.
भारतीय सेना बना रही दो खास HALE ड्रोन
रिपोर्ट के मुताबिक, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADE) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इन दो अलग-अलग ड्रोन प्रोग्राम को आगे बढ़ा रहे हैं. दोनों ही ड्रोन को भारतीय सशस्त्र बलों की खास जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया जा रहा है.
इन ड्रोन की मदद से भारतीय सेना उत्तरी सीमाओं पर खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने और टोही क्षमताओं को बढ़ाना चाहता है, जहां बहुत ऊंचाई पर लंबे समय तक टिके रहना बहुत जरूरी है. इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत है कि ये दो वेरिएंट में होंगे.
1. टर्बोप्रॉप-पावर्ड HALE ड्रोन-
यह ड्रोन अधिक ऊंचाई वाले वातावरण में लंबे मिशनों के लिए बनाए जा रहे हैं. यह बेहद कम ईंधन खपत करता है और 25 घंटे से अधिक समय तक हवा में मंडरा सकता है. इसका वजन करीब 5 टन होगा. यह सिंथेटिक अपर्चर रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर जैसे पेलोड ले जा सकता है, जिससे यह दुश्मनों की गतिविधि पर सटीक नजर रखेगा.
2. टर्बोजेट-पावर्ड ड्रोन-
यह ड्रोन गति और ऊंचाई दोनों ताकत से लैस है, जो पहाड़ी ऑपरेशनों के लिए अहम है, जहां हवा का घनत्व कम होता है. इसमें HAL का HTFE-25 जैसे शक्तिशाली इंजन लगाए जा सकते हैं.
वहीं, इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 7-8 टन तक होगा. यह शुरुआती चेतावनी रडार, हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों और इलेक्ट्रॉनिक टोही सिस्टम सहित कई पेलोड ले जा सकता है. बता दें, इसकी 40,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर काम करने की क्षमता LAC की निगरानी के लिए इसे एक खास हथियार बनकर सैन्य क्षमता बढ़ाएगा.
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