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चीन सीमा पर इंडियन एयरफोर्स रखेगी 'शिकारी' नजर, इस 'हवाई ब्रह्मास्त्र' से लेगी पल-पल की खबर

भारत अपनी सीमाओं को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए जुट चुका है. ऐसे में, चीन से लगती सीमाओं पर एडवांस ड्रोन की तैनाती की तैयारी की जा रही है. जो बहुत दूर से दुश्मनों की हरकतों को पहचान लेगा.

चीन सीमा पर इंडियन एयरफोर्स रखेगी 'शिकारी' नजर, इस 'हवाई ब्रह्मास्त्र' से लेगी पल-पल की खबर
  • भारतीय सेना व वायुसेना मिलकर करेगी सीमा सुरक्षा
  • चीन से बढ़ते विवाद के बीच एडवांस ड्रोन होंगे तैनात

भारत अपनी उत्तरी सीमा पर निगरानी और सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है. भारतीय वायुसेना (IAF) और भारतीय सेना (Indian Army) ने मिलकर उत्तर प्रदेश के एयरबेस पर MQ-9B प्रेडेटर ड्रोन तैनात करने का फैसला किया है. इन ड्रोनों का मुख्य मकसद चीन की हर गतिविधि पर नजर रखना है.

चीन सीमा पर क्यों खास है यह तैनाती?
26 मार्च, 2025 को घोषित गोरखपुर और सरसावा एयरबेस का रणनीतिक चयन चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब इन हाई-एंड्यूरेंस मानवरहित हवाई वाहनों यानी ड्रोन्स को तैनात करता है.

यह भारत की पूरी सीमा लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की निगरानी करने की क्षमता को बढ़ाएगा.

रणनीतिक स्थान- पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थित गोरखपुर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित सरसावा को चीन सीमा से उनकी निकटता और बुनियादी ढांचे के फायदों के लिए चुना गया है. यह स्थिति ड्रोनों को LAC के दक्षिणी या पश्चिमी बेस, जैसे पुणे या सुलूर की तुलना में काफी करीब लाती है. इससे प्रतिक्रिया का समय कम हो जाता है और 3,488 किलोमीटर लंबी LAC के बदलते भूगोल और विवादित स्थिति को देखते हुए महत्वपूर्ण हॉटस्पॉट पर निगरानी का समय बढ़ जाता है.

एडवांस निगरानी- ये प्रेडेटर ड्रोन सिंथेटिक अपर्चर रडार,  इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड सेंसर और सिग्नल्स इंटेलिजेंस सूट्स से लैस हैं.

'शिकारी' ड्रोन की खासियतें
MQ-9B प्रेडेटर ड्रोन सिर्फ निगरानी ही नहीं, बल्कि हमला करने की भी क्षमता रखते हैं. ये ड्रोन 1,700 किलोग्राम तक के हथियार ले जा सकते हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर जवाबी कार्रवाई या पहले से हमला करने की क्षमता मिलती है. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इनका प्राथमिक मिशन खुफिया जानकारी जुटाना, निगरानी और टोही रहेगा.

वहीं, इनकी 36 घंटे की उड़ान भरने की क्षमता लगातार निगरानी रखने की सुविधा देती है, जो भारत के मौजूदा हेरॉन ड्रोन द्वारा प्रदान किए जाने वाले 10-12 घंटों से कहीं अधिक है.

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