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अलविदा MiG-21: 'बाज' की विदाई से इंडियन एयरफोर्स पर पड़ेगा असर? जानें 'फाइटर लीजेंड' का ऐतिहासिक सफर

MiG-21 retirement: इंडियन एयरफोर्स का 6 दशक पुराना भरोसेमंद लड़ाकू विमान MiG-21 जल्द ही इतिहास बनने जा रहा है. अगले कुछ महीने बाद यह अपनी आखिरी उड़ान भरेगा और इसके साथ ही भारतीय वायुसेना के बेड़े से इसका सफर खत्म हो जाएगा. यह एक ऐसा विमान है जिसने कई युद्धों में भारत का मान बढ़ाया, लेकिन अब इसकी विदाई का वक्त आ गया है.

अलविदा MiG-21: 'बाज' की विदाई से इंडियन एयरफोर्स पर पड़ेगा असर? जानें 'फाइटर लीजेंड' का ऐतिहासिक सफर
  • पिछले 62 साल से IAF में सेवा दे रहा MiG-21 जेट
  • 1971 जंग से बालाकोट स्ट्राइक तक दिखाई ताकत

MiG-21 retirement India: मिग 21. बालाकोट एयर स्ट्राइक का सुपर हीरो. जिसने पाकिस्तान में न केवल घुसकर तबाही मचाई, बल्कि जंग के मैदान में कई दफा भारतीय वायुसेना को बढ़त भी दिलाया. हालांकि, हर चीज की एक उम्र होती है. इसी तरह MiG-21 भी अपने आखिरी पड़ाव पर है. बता दें, इंडियन एयरफोर्स अपनी लड़ाकू क्षमता के एक महत्वपूर्ण अध्याय को समाप्त करने जा रही है, क्योंकि उसका आखिरी MiG-21 लड़ाकू विमान सितंबर में आधिकारिक तौर पर रिटायर हो जाएगा.

19 सितंबर को MiG-21 होगा रिटायर
भारतीय वायुसेना की रीढ़ बनकर सेवा करने वाला MiG-21, अब इतिहास का हिस्सा बनने वाला है. बता दें, 19 सितंबर 2025 को MiG-21 का चंडीगढ़ एयरबेस पर एक विशेष 'फेज आउट' समारोह आयोजित किया जाएगा, जहां अप्रैल 1963 में पहले 6 MiG-21 विमानों ने पहली बार लैंडिंग की थी. भारतीय वायुसेना ने विज्ञापन जारी कर सेवानिवृत्त सैनिकों को भी इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल होने के लिए इनवाइट किया है.

'फर्स्ट सुपरसोनिक्स' की कहानी 1963 से अब तक
MiG-21 को सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो द्वारा डेवलप किया गया था. इसने अपनी पहली उड़ान 1955 में भरी थी. भारत ने 1963 से अब तक कुल 874 MiG-21 विमान हासिल किए हैं, जिनमें से 657 का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा लाइसेंस के तहत किया गया था.

ये लड़ाकू विमान 1963 में मुंबई में असेंबल न की गई हालत में आए थे और सोवियत इंजीनियरों की एक टीम द्वारा इन्हें जोड़ा गया और उनके पायलटों द्वारा ही टेस्ट-फ्लाई किया गया था. जिसके बाद, इन विमानों को IAF स्क्वाड्रन का हिस्सा बनाया गया, जिसे 'द फर्स्ट सुपरसोनिक्स' नाम दिया गया था.

कई युद्धों का गवाह रहा है MiG-21
पिछले 62 सालों में, MiG-21 कई बड़े ऑपरेशन और मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. इसमें 1971 का बांग्लादेश युद्ध, 1999 का कारगिल युद्ध और बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे बेहद बड़े मिशन शामिल है. यह वही विमान है, जिससे ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्थमान ने MiG-21 उड़ाते हुए पाकिस्तानी F-16 विमान को मार गिराया था, जिससे इसकी क्षमता एक बार फिर साबित हुई थी.

शुरुआत में, MiG-21 को एक पॉइंट डिफेंस फाइटर के रूप में डिजाइन किया गया था. वहीं, MiG-21 बिस वेरिएंट के IAF में शामिल होने तक, यह एयर-टू-एयर कॉम्बैट और पायलट की विजुअल रेंज के भीतर शॉर्ट-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलों का इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया गया था.

इन बीते वर्षों में, इसके एवियोनिक्स, मिसाइलों और रडार को नए वर्जनों के साथ अपग्रेड किया गया. बता दें, MiG-21 PF 1965 में शामिल हुए, उसके बाद 250 MiG-21 FL वेरिएंट आए. बाद में, MiG-21 M/MFs और सबसे हालिया वेरिएंट MiG-21 बिस भी बेड़े में शामिल हुए.

क्या इंडियन एयरफोर्स पर पड़ेगा असर?
वर्तमान में, IAF के पास MiG-21 के दो स्क्वाड्रन हैं. इनके हटने से लड़ाकू जेट स्क्वाड्रन की संख्या घटकर 29 हो जाएगी, जो दशकों में सबसे कम होगी. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन के साथ दो मोर्चों पर संभावित युद्ध के लिए इंडियन एयरफोर्स को 42 स्क्वाड्रन जेट की जरूरत है, जिसमें प्रत्येक स्क्वाड्रन में 16-18  फाइटर जेट होते हैं.

वहीं, तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान के इंडियन एयरफोर्स में शामिल होने में देरी है. पहले जेट की डिलीवरी मार्च 2024 में शुरू होनी थी, जिसमें हर साल कम से कम 16 लड़ाकू विमान IAF को दिए जाने थे, लेकिन HAL ने अभी तक एक भी तेजस मार्क-1ए की डिलीवरी नहीं कर पाया है.

ऐसे में, उम्मीद है कि नए विमानों की डिलीवरी तेजी से होगी, ताकि MiG-21 के हटने से बनी कमी को पूरा किया जा सके और भारतीय वायुसेना की ताकत बनी रहे.

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