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इंडियन एयरफोर्स के तेजस और राफेल का कमाल, पिछले 30 साल में विमान क्रैश में आई रिकॉर्ड गिरावट; जानें कैसे हुआ सुधार

IAF aircraft crash report: इंडियन एयरफोर्स ने पिछले तीन दशकों में विमान हादसों में काफी नुकसान झेला है, लेकिन अब एक अच्छी खबर है. नए विमानों और बेहतर ट्रेनिंग की बदौलत, भारतीय वायुसेना में विमान दुर्घटनाओं की संख्या लगातार कम हो रही है.

इंडियन एयरफोर्स के तेजस और राफेल का कमाल, पिछले 30 साल में विमान क्रैश में आई रिकॉर्ड गिरावट; जानें कैसे हुआ सुधार
  • तेजस और राफेल साबित हुए गेमचेंजर
  • ट्रेनिंग व रखरखाव में हुए बेहतर सुधार

IAF aircraft crash reduction report: इंडियन एयरफोर्स से जुड़ी एक खबर बेहद परेशान करती रही है. ट्रेनिंग या उड़ान भरने के दौरान विमानों का क्रैश होना. हालांकि आंकड़े बताते हैं कि भारत ने पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में अकल्पनीय सुधार किए हैं. यह बदलाव खासकर राफेल और तेजस जैसे मॉडर्न फाइटर जेट्स के शामिल होने और सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार के बाद आया है. तो चलिए, जानते हैं कैसे ये बदलाव IAF के लिए गेम चेंजर साबित हुए हैं और अब विमानों की उड़ान पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित हो गई है.

30 साल का सफर- पहले ज्यादा हादसे, अब गिरावट
एविएशन एक्सपर्ट अंचित गुप्ता की रिसर्च के मुताबिक, 1989 से 2022 के बीच IAF ने 534 विमान खोए और 152 से ज्यादा पायलटों की जान गई. 1990 के दशक में तो हर साल 20-30 विमान हादसे होते थे, जिनमें से कई मिग-21 जैसे पुराने विमान थे, जिन्हें अक्सर फ्लाइंग कॉफिन कहा जाता था.

लेकिन, इस भयावह आंकड़े के बावजूद, अब एक स्पष्ट गिरावट का ट्रेंड है. 2000 के दशक में सालाना हादसे 10-20 तक आ गए, और 2010 के दशक से लेकर 2020 की शुरुआत तक, यह आंकड़ा सिंगल या कम डबल डिजिट में गिर गया है.

कैसे रुकी क्रैश की घटनाएं?
इस गिरावट के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जो इंडियन एयरफोर्स की सुरक्षा प्रतिबद्धता को दिखाते हैं.

आधुनिक विमानों का बेड़ा- राफेल, Su-30 MKI और तेजस जैसे आधुनिक प्लेटफॉर्म के आने से पुराने और तकनीकी समस्याओं वाले विमानों पर निर्भरता कम हुई है. पुराने मिग-29 जैसे विमानों के अपग्रेड ने भी मदद की है.

बेहतर ट्रेनिंग और सुरक्षा- IAF ने पायलट ट्रेनिंग को बहुत बेहतर किया है. इसमें एडवांस्ड फ्लाइट सिमुलेटर का ज्यादा इस्तेमाल होता है और रखरखाव व सुरक्षा के नियम भी सख्त किए गए हैं, जिससे मानवीय गलतियां और मशीन से जुड़ी दिक्कतें कम हुई हैं.

बेहतर रखरखाव- मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश किया गया है. टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड जैसी निजी फर्मों के साथ पार्टनरशिप से विमानों की विश्वसनीयता बढ़ी है.

डेटा का सही इस्तेमाल- IAF अब दुर्घटनाओं के डेटा का गहराई से विश्लेषण करता है और उनसे मिले सबक को सुरक्षित ऑपरेशंस में लागू करता है.

चुनौतियां अभी भी मौजूद
हालांकि, मिग-21 जैसे पुराने विमानों पर निर्भरता भी हादसों की एक बड़ी वजह रही है. ये विमान 1960 के दशक से सेवा में हैं और 20 साल के सेवा जीवन के लिए डिजाइन किए गए थे, लेकिन नए विमानों की खरीद में देरी के कारण कई मिग-21 अभी भी उड़ान भर रहे हैं.

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