Indian Airforce 5th gen fighter Jet: भारतीय वायुसेना अपनी ताकत में किसी भी तरह की कोई खामी नहीं रहने देना चाहती है. यही वजह है कि IAF ने सरकार से अमेरिकी F-35 फाइटर जेट्स खरीदने की सिफारिश की है. यह सिफारिश पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की कमी को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए की गई है, जब तक कि भारत का अपना एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी AMCA तैयार नहीं हो जाता. अगर यह डील फाइनल होती है, तो भारतीय वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा और यह क्षेत्रीय दुश्मनों के लिए एक बड़ा गेम चेंजर साबित होगी.
इंडियन एयरफोर्स को क्यों चाहिए F-35?
भारतीय वायुसेना को पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की सख्त जरूरत है. अभी भारत के पास इस पीढ़ी का कोई विमान नहीं है, जबकि चीन J-20 जैसे स्टील्थ फाइटर जेट्स ऑपरेट कर रहा है. F-35 को एक समाधान के रूप में देखा जा रहा है, यानी एक ऐसा रास्ता जो हमें तब तक मजबूत रखेगा जब तक हमारा खुद का AMCA पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाता.
क्या है F-35 की खासियतें?
अमेरिकी F-35 लड़ाकू विमान रडार पर मुश्किल से दिखाई देता है, जिससे दुश्मन को इसका पता लगाना लगभग नामुमकिन होता है. वहीं, इसमें लगे सेंसर इसे युद्धक्षेत्र की पूरी जानकारी देते हैं, जिससे पायलट बेहतर फैसले ले पाता है. साथ ही, यह दूसरे विमानों और ग्राउंड स्टेशनों के साथ रियल-टाइम में जानकारी साझा कर सकता है, जिससे पूरी वायुसेना एक साथ मिलकर काम करती है.
IAF की स्ट्राइक ताकत में होगा इजाफा
F-35 के आने से भारतीय वायुसेना की स्ट्राइक पावर कई गुना बढ़ जाएगी. यह सिर्फ बम गिराने या मिसाइल दागने वाला विमान नहीं है, बल्कि यह युद्धक्षेत्र में सूचनाओं का एक बड़ा हब है. यह दुश्मन के एयर डिफेंस को भेद सकता है, सटीक हमले कर सकता है और हवाई लड़ाई में भी भारी पड़ सकता है. इसकी क्षमताएं भारत को किसी भी हवाई संघर्ष में एक निर्णायक बढ़त दिलाएंगी.
AMCA का भविष्य और F-35
भारतीय वायुसेना का मुख्य लक्ष्य अपना स्वदेशी AMCA फाइटर जेट बनाना है. लेकिन इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में अभी 5 साल का और वक्त लग सकता है. ऐसे में, F-35 इस गैप को भरने में मदद करेगा और भारतीय पायलटों को पांचवीं पीढ़ी के विमानों को ऑपरेट करने का अनुभव भी देगा. यह अनुभव AMCA के डेवलपमेंट और तैनाती में भी काम आएगा, जिससे AMCA प्रोजेक्ट और मजबूत होगा.
F-35 की खरीदारी में आ सकती हैं अड़चनें
F-35 की खरीद आसान नहीं होगी. यह एक बहुत महंगा लड़ाकू विमान है और इसके लिए अमेरिका से टेक्निकल हस्तांतरण और रखरखाव के लिए गहन सहयोग की जरूरत होगी. इसके अलावा, रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के कारण अमेरिका के साथ 'CAATSA' प्रतिबंधों का भी मुद्दा है.
हालांकि, भारतीय वायुसेना का मानना है कि देश की सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए F-35 का अधिग्रहण बेहद जरूरी है और सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है.
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