इंडियन एयरफोर्स अपनी हवाई निगरानी और स्ट्राइक क्षमता को कई गुना बढ़ाने जा रही है. इसके लिए, भारत की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट ने दो नए और खास हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (HALE) ड्रोन डिजाइन का प्रस्ताव रखा है. बता दें, ये नए UAVs हजारों फीट की ऊंचाई से दुश्मन पर नजर रख सकते हैं और सटीक हमले भी कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या हैं HALE ड्रोन और इनके दोनों वेरिएंट.
क्या है दो नए HALE UAV के वेरिएंट?
ADE ने भारत के स्वदेशी UAV डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत दो HALE UAV डिजाइन प्रस्तावित किए हैं.
1. Y-टेल कॉन्फिगरेशन- इस ड्रोन का वजन 4,800 किलोग्राम है. जो इस तरह डिजाइन किया गया है, जो फुर्ती के साथ स्ट्राइक करने में सक्षम है. वहीं, इसमें हल्के फुटप्रिंट लगे हुए हैं. जिन्हें कहीं से भी लॉन्च करना आसान होगा.
2. सिंगल इंजन ट्विन बूम (SETB) कॉन्फिगरेशन- इसका वजन 5,700 किलोग्राम है और ये 2,000 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है. साथ ही, इसे 35,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर 390 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से क्रूज करने और 25 घंटे से अधिक उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसकी रेंज 1,000 किलोमीटर तक है.
ताकतवर इंजन और हथियारों से लैस
इतना ही नहीं, दोनों UAV डिजाइनों को TPE-331-10 टर्बोप्रॉप इंजन 940 HP से लैस किया गया है, जो अपनी दमदार परफॉर्मेंस के लिए जाने जाते हैं.
गौरतलब है कि HALE UAVs सटीक-गाइडेड गोला-बारूद का एक शस्त्रागार ले जा सकते हैं, जिसमें स्मॉल डायमीटर लेजर-गाइडेड बम, जॉइंट डायरेक्ट अटैक म्यूनिशंस, एंटी-शिप मिसाइलें, और लॉन्ग-रेंज एंटी-शिप मिसाइलें शामिल हैं.
UAVs अपनी मल्टीरोल खासियत के चलते कई तरह के हथियारों में पॉड-माउंट करने योग्य पेलोड को भी ले जा सकते हैं, जिससे बड़े क्षेत्रों में घातक मिशन को अंजाम देने में मदद मिलती है.
एडवांस कम्युनिकेशन और सेंसर सिस्टम
दोनों वेरिएंट के ड्रोन एडवांस कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस हैं, जिनमें लाइन-ऑफ-साइट और सैटेलाइट कम्युनिकेशन लिंक शामिल हैं, जो मिशनों के दौरान सहज कनेक्टिविटी सुनिश्चित करते हैं.
साथ ही, दोनों इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड सेंसर, सिंथेटिक अपर्चर रडार, मैरीटाइम पेट्रोल रडार, आइडेंटिफिकेशन फ्रेंड या फो, ट्रैफिक कोलिजन एवॉइडेंस सिस्टम, ऑटोमैटिक डिपेंडेंट सर्विलांस-ब्रॉडकास्ट, सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो, ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम, रडार वार्निंग रिसीवर, इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर्स, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस, कम्युनिकेशंस इंटेलिजेंस से लैस होने के साथ-साथ कई एंटी-सबमरीन वॉरफेयर सिस्टम जैसे पेलोड ले जाने में सक्षम है.
इंडियन एयरफोर्स व सेना की बढ़ाएगा ताकत
ऐसे में दोनों वेरिएंट के ड्रोन भारतीय सेना को मिल जाते हैं, तो स्ट्राइक ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. दोनों ही ड्रोन अलग-अलग मिशनों को अंजाम देने के लिए बेहद कारगर हैं. जिससे निगरानी सहित हजारों किलोमीटर दूर तक स्ट्राइक करने की क्षमता मिलेगी.
बता दें, ये UAVs 35,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर काम कर सकते हैं और 25 घंटे की उड़ान भर सकते हैं.
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