Ultra Long Range Strike Aircraft: ईरान-इजरायल जंग के बीच जब अमेरिकी की एंट्री हुई. तो सबसे ज्यादा चर्चा बी-2 बॉम्बर की हुई. ऐसे में, भारत भी बदलते युद्ध के तौर-तरीकों को देखते हुए बमवर्षक विमान बनाने जा रहा है. बता दें, यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट भारत को वैश्विक शक्तियों के एक चुनिंदा समूह में शामिल करेगा, जिनके पास ऐसे एडवांस बॉम्बर विमान हैं. तो चलिए, जानते हैं क्या है ये ULRSA और कैसे ये भविष्य में भारत की सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.
भारत का अल्ट्रा-लॉन्ग-रेंज बमवर्षक ULRSA
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय ULRSA को रूस के टुपोलेव Tu-160 व्हाइट स्वान और अमेरिकी B-21 रेडर जैसे बमवर्षकों की ही तरह डेवलप किया जाएगा. इसमें स्टील्थ यानी रडार से छिपने की क्षमता, लंबी दूरी और भारी पेलोड ले जाने की क्षमता होगी.
वहीं, एक बार ऑपरेशनल होने के बाद, यह भारत की दूसरी परमाणु हमला करने की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा. जिससे यह महाद्वीपों के पार भी दुश्मन को जवाब दे सकेगा.
क्या होगी ULRSA की खासियत?
यह रणनीतिक बमवर्षक एडवांस स्टील्थ टेक्नोलॉजी, रडार-एब्सॉबेंट मैटेरियल्स यानी रडार किरणों को सोखने वाले पदार्थ और ऑटोमेटेड फ्लाइट सिस्टम से लैस होगा, ताकि दुश्मन की हवाई रक्षा नेटवर्क से बच सके.
वहीं, Tu-160 के स्विंग-विंग कॉन्फिगरेशन से प्रेरित इसका वेरिएबल-स्वीप विंग डिजाइन, लंबी दूरी के मिशनों के लिए उड़ान भरने में सक्षम होगा.
इसके इतर, इंडियन एयरफोर्स ने उम्मीद जताई है कि यह 12 टन तक का पेलोड ले जा सकेगा, जिसमें ब्रह्मोस-एनजी क्रूज मिसाइलें, अग्नि-1P शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलें, लेजर-गाइडेड बम और एंटी-रेडिएशन मिसाइलें शामिल होंगी. जो पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हमलों के लिए मल्टीरोल ऑप्शन देगा.
क्या होगी ULRSA की टेक्नोलॉजी?
बमवर्षक की प्रोपल्शन सिस्टम एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें रूसी NK-32 आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन या संशोधित GE-414 कोर जैसे इंजीनियरिंग को शामिल किया जाएगा. ताकि अल्ट्रा-लॉन्ग-रेंज मिशनों के लिए आवश्यक थ्रस्ट और ईंधन दक्षता हासिल की जा सके.
ULRSA बॉम्बर कब तक बनकर होगा तैयार?
रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट वर्तमान में अपनी डिजाइन और मूल्यांकन स्टेज में है. हालांकि, रक्षा अधिकारियों ने पुष्टि की है कि अगले कुछ वर्षों में प्रारंभिक डिजाइन पूरे हो जाएंगे, जिसमें पहला प्रोटोटाइप 2035 तक रोल आउट होने की उम्मीद है.
ऐसे में, ULRSA भारत के सबसे महत्वाकांक्षी स्वदेशी एयरोस्पेस कार्यक्रमों में से एक होगा, जो AMCA की पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट का भी हिस्सा है. ULRSA के ट्विन- या क्वाड-इंजन कॉन्फिगरेशन द्वारा संचालित होने की उम्मीद है, जो मौजूदा उच्च-थ्रस्ट सैन्य टर्बोफैन पर आधारित होगा.
अगर यह योजना सफल होती है, तो भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा. जिनमें वर्तमान में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं, जो इंटरकांटिनेंटल रेंज और परमाणु अटैक क्षमता वाले बमवर्षक विकसित करने में सक्षम हैं.
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