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भारत के T-90 और T-72 के लिए रखे जाएंगे लड़ाकू ड्रोन, इन्हें कहा जा रहा टैंकों के 'इलेक्ट्रोनिक बॉडीगार्ड'!

भारतीय सेना पिछले कुछ सालों से अपने टैंकों को अपग्रेड करने में लगातार काम कर रही है. इसी बीच अब अपने T-90 और T-72 टैंकों को मजबूत बनाने के लिए सेना जल्द ही इनमें काउंटर ड्रोन सिस्टम लगाने जा रही है.

भारत के T-90 और T-72 के लिए रखे जाएंगे लड़ाकू ड्रोन, इन्हें कहा जा रहा टैंकों के 'इलेक्ट्रोनिक बॉडीगार्ड'!
  • अपने टैंक मजबूत करेगी भारतीय सेना
  • काउंटर ड्रोन सिस्टम की उठाई मांग

नई दिल्ली: भारतीय सेना देश की मजबूती के लिए हर दिन नए फैसले ले रही है. बीते कुछ सालों से सेना अपने टैकों को अपग्रेड करती जा रही है. इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए अब भारतीय सेना ने अपने फाइटर टैंकों को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, सेना का कहना है कि उन्हें C-UAS (काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम) की जरूरत है, जो रेगिस्तान, मैदानों और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भी काम करने में सक्षम हो. बताया जा रहा है कि ये सिस्टम टी-90 और टी-72 टैंकों में लगाए जाएंगे, जो वर्तमान में भारत-चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और भारत-पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा (LoC) पर तैनात किए गए हैं. इन इलाकों में अक्सर मुश्किल भूभाग और ऊंचाई की चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं.

360 डिग्री में भी दुश्मन को पहचानेगा C-UAS
वहीं, दूसरी ओर C-UAS की बात करें तो यह 360 डिग्री में भी दुश्मन को पहचानने और ट्रैक कर पाने में सक्षम है, जिसके कारण हर तरह के खतरें से बचा जा सकता है. इसकी खूबियों को देखते हुए C-UAS को टी-90 और टी-72 टैंकों में जोड़ा जाएगा, जिसकी वजह से टैंकों की सुरक्षा और प्रभावशीलता बढ़ती रहेगी. अपने टैंकों को अपग्रेड करते हुए भारतीय सेना ने टी-72 में 1,000 हॉर्सपावर वाले इंजन फिट किए हैं, ताकि इनकी गति बढ़ सके.

भारतीय सेना बना रही नई योजना
इतना ही नहीं, भारतीय सेना की आने वाले वक्त में 464 टी-90MS टैंकों को भी लाने की योजना है, जो उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम और बेहतर कवच से लैस होंगे. इसके अलावा सेना ने 2025 की फरवरी में ही टी-90S/SK टैंकों के लिए एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम (APS) के लिए रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन (RFI) जारी कर दी है. रिपोर्ट्स की मानें तो APS में हार्ड-किल, सॉफ्ट-किल और C-UAS की क्षमता होगी, जिससे अत्याधुनिक खतरों से निपटा जा सके.

चीन ने सीमा पर तैनात किए टैंक और ड्रोन
टैंकों में C-UAS को फिट करने का कदम ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए उठाया गया है. खासतौर पर LAC और LoC की ओर से आने वाले खतरे को रोकने के लिए. चीन ने LAC पर टाइप-15 जैसे हल्के टैंक और ड्रोन तैनात किए हैं, जिन्हें ऊंचाई वाले इलाकों में जंग के लिए बनाया गया. फिलहाल भारतीय टैंकों के लिए सबसे बड़ा खतरा है चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) में इस्तेमाल की जाने वाली ड्रोन स्वार्म. इसी के साथ, लॉइटरिंग म्यूनिशन भी एक बड़ा खतरा है, जो हवा में रुककर हमला करने वाला हथियार है.

पाकिस्तानी खतरे ने भी बचाएगा C-UAS
इसी तरह LoC पर भी पाकिस्तानी सेना ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी करने और हथियार पहुंचाने के लिए कर रही है. इन खतरों से बचने के लिए ही भारत की ओर से अपने टैंकों को मजबूत करने का यह फैसला जरूरी माना जा रहा है. C-UAS को टैंक में लगाने का फैसला यूक्रेन युद्ध से सबक लेते हुए लिया गया है. बता दें कि युक्रेन में ड्रोन और टॉप-अटैक एंटी-टैंक मिसाइलों (ATGMs) ने टैंकों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया था. यही से एक बात तो साफ हो गई कि ड्रोन हमलों को रोकने के लिए ऐसे ऑटोमैटिक सिस्टम जरूरत हैं, जो हवा में खतरों को पहचानकर उन्हें खत्म करने में सक्षम हों.

टैंकों नहीं होगा कोई नुकसान
रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन की रिपोर्ट के अनुसार, C-UAS टी-90 और टी-72 टैंकों की मौजूदा क्षमता को बिना कोई नुकसान पहुंचाए उनमें फिट किए जाएंगे. बताया जा रहा है कि इनमें सॉफ्ट-किल- जैसे रेडियो फ्रीक्वेंसी या इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड जैमर से ड्रोन को भटकाने और हार्ड-किल यानी लेजर जैसे हथियारों से ड्रोन को नष्ट करने की क्षमता होगी.

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