Indian Army Stryker rejection: भारतीय सेना अपनी मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए अमेरिकी स्ट्राइकर को अपने बेड़े में शामिल करने में दिलचस्पी दिखाई थी. जिसे शामिल करने से पहले टेस्टिंग पड़ाव से गुजरना था. हालांकि, भारतीय सेना की जरूरतों के मुताबिक यह एडवांस आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल फिट नहीं बैठा. आइए जानते हैं क्या है Stryker हथियार और इंडियन आर्मी को क्यों ना कहना पड़ा.
Stryker क्या था और क्यों हुआ टेस्ट?
Stryker आठ-पहियों वाला एक बख्तरबंद वाहन है. जिसे अमेरिका की जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम्स ने बनाया है. जिसे इसी साल, एक प्रस्तावित को-प्रोडक्शन डील के तहत भारत लाया गया था. ये डील यूएस-इंडिया डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशिएटिव का हिस्सा थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस वाहन को इसकी गतिशीलता, मॉड्यूलरिटी और इराक व अफगानिस्तान जैसे संघर्षों में दमदार युद्ध प्रदर्शन के लिए जाना जाता है. भारत में इसका मूल्यांकन भारतीय सेना की आधुनिक बख्तरबंद प्लेटफॉर्म की जरूरत को पूरा करने के लिए किया गया था.
टेस्टिंग विभिन्न इलाकों में किए गए. जिसमें रेगिस्तान और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र शामिल थे, ताकि सिस्टम की भारत के परिचालन और पर्यावरणीय चुनौतियों के खिलाफ क्षमता का आकलन किया जा सके.
भारत की जरूरतों पर खरा नहीं उतरा Stryker
हालांकि, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने पुष्टि की कि टेस्ट किया गया Stryker वेरिएंट भारतीय सेना की जरूरतों से मेल नहीं खाता था. खासकर नदियों वाले और पानी भरे इलाकों में इसकी पानी में चलने की क्षमता पर यह खरा नहीं उतरा.
ऐसे इलाके भारत के पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्रों और बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में आम हैं. सिंह ने आगे कहा, ‘भारतीय सेना एक ऐसे पानी पर चलने वाले आर्म्ड व्हीकल वर्जन की तलाश में है, जिसे अमेरिका भारत के साथ भविष्य के संयुक्त प्रोजेक्ट में शो करेगा.’
भारतीय सेना की क्या है जरूरतें?
दरअसल, इंडियन आर्मी WAP यानी Wheeled Armoured Platform प्रोग्राम सोवियत-युग के BRDM-2 जैसे पुराने व्हील वाले बख्तरबंद वाहनों को बदलने और अपनी तेजी से तैनाती क्षमताओं को बढ़ाने का लक्ष्य बनाई हुई है.
भारतीय सेना को ऐसे 8x8 प्लेटफॉर्म की जरूरत है, जो सैनिकों को ले जा सके, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और रिमोट वेपन स्टेशन को माउंट कर सके, और विभिन्न इलाकों और पानी वाले क्षेत्रों में आसानी व फुर्ती से काम कर सके.
भारत के पास स्वदेशी Kestrel है ऑप्शन
Stryker के लिए प्रस्तावित को-प्रोडक्शन डील भारत की 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भर भारत पहलों के अनुरूप थी. जिसका मूल्य 1 बिलियन डॉलर से अधिक था और इसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में स्थानीय विनिर्माण शामिल था.
वहीं, क्रेस्ट्रल वर्तमान में परीक्षणों से गुजर रहा है और Stryker का एक स्वदेशी ऑप्शन बन सकता है. बता दें, क्रेस्ट्रल को DRDO और टाटा द्वारा विकसित किया गया भारत का अपना 8x8 कम पानी पर चलने वाला इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन है.
ये भी पढ़ें- इंडियन एयरफोर्स को मिलेगा 'तेजस' से भी 'घातक' स्टील्थ ड्रोन, दुश्मन के रडार को अंधा कर करेगा वार; जानें ताकत
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.