India Defence: दुनिया भर में युद्ध के तौर-तरीके बदल चुके हैं. इस बदलाव में सबसे अहम भूमिका ड्रोन ने निभाया है. जो न केवल सस्ते बल्की प्रभावी भी हैं. ऐसे में भारत भी अपनी सैन्य क्षमता को लगातार मजबूत कर रहा है. बता दें, भारतीय सेना ने अपने बीएमपी-2/2के इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स (ICVs) को और घातक बनाने के लिए काउंटर-यूएएस (C-UAS) सिस्टम खरीदने का फैसला लिया है. इसके लिए सेना ने 100 यूनिट्स प्रति वर्ष सप्लाई के साथ एक रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन (RFI) जारी की है. इस सिस्टम का मकसद दुश्मन के सर्विलांस ड्रोन, लूटिंग म्यूनिशन और FPV ड्रोन जैसे खतरों को रियल-टाइम में पहचान कर नष्ट करना है. यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत घरेलू उत्पादन को भी बढ़ावा देगी. इससे पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर ड्रोन खतरों के खिलाफ सेना की सुरक्षा और मजबूत होगी.
C-UAS से लैस होंगे इंडियन टैंक
IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना ने अपने पुराने लेकिन महत्वपूर्ण बीएमपी-2/2के इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स को ड्रोन खतरों से निपटने के लिए अपग्रेड करने की तैयारी कर ली है. इसके लिए एक काउंटर-यूएएस (C-UAS) सिस्टम खरीदने के लिए रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन (RFI) जारी किया गया है, जिसमें हर साल 100 यूनिट्स की सप्लाई की योजना है.
इस पहल का उद्देश्य बीएमपी-2/2के वाहनों को दुश्मन के सर्विलांस ड्रोन, लूटिंग म्यूनिशन और फर्स्ट-पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन जैसे नए खतरों से बचाना है. यह अपग्रेड सेना की मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री क्षमताओं को आधुनिक बनाने में मदद करेगा और मौजूदा प्लेटफॉर्म्स को ज़्यादा प्रासंगिक बनाएगा.
कैसे काम करता है UAS सिस्टम?
काउंटर-यूएएस सिस्टम का काम दुश्मन के ड्रोन को समय रहते पहचानना, ट्रैक करना और उसे खत्म करना है. इसके लिए यह सिस्टम रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (EO/IR) सेंसर और रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) डिटेक्टर जैसी एडवांस्ड तकनीकों का इस्तेमाल करेगा.
सिस्टम दुश्मन के ड्रोन को केवल पहचान ही नहीं करेगा, बल्कि उन्हें नष्ट भी करेगा. इसके लिए काइनेटिक (जैसे गन फायर या मिसाइल) और नॉन-काइनेटिक (जैसे RF जैमिंग या लेजर) विकल्पों का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि ऑपरेशन में न्यूनतम नुकसान हो.
क्या है C-UAS की खासियत?
यह सिस्टम बीएमपी-2/2के के मौजूदा फायर कंट्रोल सिस्टम, गनर के मुख्य दृष्टि यंत्र और कमांडर के पैनोरमिक साइट से पूरी तरह इंटीग्रेट होगा. इसके अलावा, सिस्टम को बीएमपी-2एम जैसे अपग्रेड्स के साथ नाइट फाइटिंग और ऑटोमैटिक टारगेट ट्रैकिंग के अनुकूल भी बनाया जाएगा.
सिस्टम को हल्का, मजबूत और अम्फीबियस ऑपरेशन के अनुकूल डिजाइन किया जाएगा, ताकि यह रेगिस्तान से लेकर पहाड़ी इलाकों तक हर जगह काम कर सके. ‘मेक इन इंडिया’ के तहत इसमें 50% से अधिक स्वदेशी सामग्री का होना ज़रूरी रहेगा, जिससे घरेलू रक्षा उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा.
LAC और LoC पर बढ़ेगी सुरक्षा
पाकिस्तान और चीन के साथ लगी सीमाओं पर ड्रोन गतिविधियों में भारी बढ़ोतरी हुई है. पाकिस्तान की ओर से चीन निर्मित DJI ड्रोन और स्वदेशी ड्रोन सिस्टमों का उपयोग बढ़ा है, वहीं चीन के पास अत्याधुनिक ड्रोन स्वॉर्म तकनीक भी मौजूद है.
2021 में जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले ने भारतीय रक्षा तंत्र की कमजोरियों को उजागर किया था. ऐसे में, बीएमपी-2/2के वाहनों पर C-UAS लगाने से एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) और एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) दोनों पर भारतीय सेना की सुरक्षा क्षमताएं काफी मजबूत होंगी और भविष्य के खतरे से निपटना आसान होगा.
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