trendingNow1zeeHindustan2839328
Hindi news >> Zee Hindustan>> राष्ट्र
Advertisement

इंडियन आर्मी के 'जोरावर' पर लगेगा इजरायल का 'किलर' कवच, दुश्मन के ड्रोन हो जाएंगे छूमंतर; जानें क्या है APS सिस्टम

भारत ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब DRDO अपनी खुद की स्वदेशी APS को डेवलप करने पर काम कर रहा है. जो अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है. ऐसे में, इजरायली कवच जोरावर टैंक को अतिरिक्त लेयर की सुरक्षा देगा.

इंडियन आर्मी के 'जोरावर' पर लगेगा इजरायल का 'किलर' कवच, दुश्मन के ड्रोन हो जाएंगे छूमंतर; जानें क्या है APS सिस्टम
  • इजरायल की डिफेंस कंपनी ने बनाया है ट्रॉफी APS
  • दुश्मन के ड्रोन व ग्रैनेड हमलों से बचाएगा APS

भारत की सेना अपने आधुनिकीकरण के लिए एक बड़ा कदम उठा रही है. देश का अपना बना हुआ 'जोरावर' लाइट टैंक अब इजरायल के एडवांस ट्रॉफी एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम से लैस होगा. यह सिस्टम 'जोरावर' को आधुनिक युद्ध के मैदान के खतरों से बचाएगा और दुश्मन के ड्रोन हमलों का एक झटके में सफाया करेगा. ऐसे में आइए इस इजरायली कवच के बारे में आसान भाषा में समझते हैं.

भारत का लाइट टैंक जोरावर
जोरावर. एक 25 टन का लाइट टैंक है, जिसे खास तौर पर अधिक ऊंचाई वाले ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है. इसे DRDO के कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (CVRDE) ने लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के सहयोग से बनाया है.

वहीं, इसका मुख्य मकसद भारत की उत्तरी सीमाओं, खासकर लद्दाख में ऑपरेशनल चुनौतियों से निपटना है. इंडियन आर्मी की योजना लंबे समय में 350 यूनिट्स खरीदने की है. ऐसे में, शुरुआती 59 टैंकों के बैच में यह सिस्टम लगाया जाएगा.

क्या है Trophy APS सिस्टम?
ट्रॉफी APS को इजरायल के राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने डेवलप किया है. यह एक ‘हार्ड-किल’ सिस्टम है जो कई तरह के खतरों को बेअसर करने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है.

APS सिस्टम क्या रोकता है?
APS एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें (ATGMs), रॉकेट-प्रोपेलिड ग्रेनेड (RPGs) और ड्रोन हमलों को रोकता है. जो कि टैंकों के लिए बड़ा खतरा होते हैं. जिन्हें खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध में 'टॉप-अटैक म्यूनिशन' और 'लॉयटरिंग ड्रोन' से होने वाले हमलों से टैंकों को कमजोर होते देखा गया है.

APS सिस्टम कैसे काम करता है?
यह आने वाले प्रोजेक्टाइलों का एडवांस रडार से पता लगाता है और विस्फोटक ऑप्शन्स से उन्हें बीच में ही रोक देता है. ट्रॉफी APS ने युद्ध में 90% से ज्यादा प्रभावशीलता दिखाई है, जैसा कि इजरायली मर्कवा टैंक और अमेरिकी अब्राम्स M1A2 MBT पर इसके उपयोग से साबित भी हुआ है.

क्यों चुना गया Trophy APS?
DRDO की APS अभी बन रही है और 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में इसके परीक्षण की उम्मीद है. हालांकि, इसके विकास में समय लग रहा है, और सेना को टैंकों की सुरक्षा तुरंत बढ़ाने की जरूरत है.

इस बीच ट्रॉफी APS को चुनकर, भारत सुनिश्चित करना चाहता है कि जोरावर वैश्विक स्तर पर सुरक्षित व एडवांस टैंक के रूप में पहचाना जाए. वहीं, DRDO अपने स्वदेशी सिस्टम को बाद के बैचों या अन्य प्लेटफार्मों में एकीकृत कर सकता है.

बता दें, जोरावर का हल्का डिजाइन वाला टैंक है. जिसे एयरलिफ्ट और पहाड़ी इलाकों में तेजी से तैनात करने के लिए बनाया गया है. ऐसे में, APS सिस्टम से लैस होने के बाद जोरावर फुर्तीला होने के साथ-साथ मजबूत भी बना रहेगा.

ये भी पढ़ें- भारत ने क्यों छोड़ा रूस का 'FGFA' प्रोजेक्ट? सालों पहले मिल जाता 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान; जानें असली वजह

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

Read More