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ब्रह्मोस के साथ जोड़ी गईं इन बैटरियों ने कर डाला कमाल, अब कराची को इंडियन नेवी की नजरों से कोई नहीं बचा सकता!

Indian Navy Reach to Karachi:  समुद्री मोबाइल तटीय बैटरियों की डिलीवरी शुरू में 2027 में शुरू होने वाली थी, लेकिन पोरबंदर और ओखा में इनकी हालिया उपस्थिति बताती है कि भारतीय नौसेना इन प्रणालियों को समय से पहले चालू करने के लिए इनकी तैनाती में तेजी ला रही है.

ब्रह्मोस के साथ जोड़ी गईं इन बैटरियों ने कर डाला कमाल, अब कराची को इंडियन नेवी की नजरों से कोई नहीं बचा सकता!

Indian Navy BrahMos Missile Use: भारत की समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. भारतीय नौसेना ने गुजरात के पोरबंदर और ओखा स्थित अपने अग्रिम परिचालन नौसैनिक अड्डों (FOBs) पर एडवांस ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस अगली पीढ़ी की समुद्री मोबाइल तटीय बैटरियों (लंबी दूरी) (NGMMCB-LR) की तैनाती शुरू कर दी है. यह कदम भारत की तटीय रक्षा अवसंरचना के आधुनिकीकरण और पश्चिमी तटरेखा पर अपनी क्षमताओं को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

X पर पोस्ट सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित हाल की तस्वीरें दर्शाती हैं कि NGMMCB-LR से संबद्ध एक ब्रह्मोस ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL) को पोरबंदर और ओखा स्थित भारतीय नौसेना के अग्रिम परिचालन नौसैनिक अड्डों पर तैनात किया गया है. 

इन बैटरियों में बेहद दम
गुजरात तट पर रणनीतिक रूप से स्थित ये अड्डे भारत के समुद्री क्षेत्र, विशेष रूप से अरब सागर, जो व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति के लिए एक महत्वपूर्ण गलियारा है, ऐसे में उनकी निगरानी और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं. इन अग्रिम ठिकानों पर NGMMCB-LR की तैनाती पूर्व और पश्चिम दोनों ओर से संभावित समुद्री खतरों का मुकाबला करने की नौसेना की क्षमता को बढ़ाती है, जैसा कि पूर्व नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल सतीश एन. घोरमडे ने बताया. उन्होंने खतरों को प्रभावी ढंग से बेअसर करने में इन बैटरियों के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया था.

दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन
NGMMCB-LR प्रणालियां भारत के तट के निकट संचालित दुश्मन के प्लेटफार्मों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन की गई हैं, जो सटीक हमले की क्षमता प्रदान करती हैं. पारंपरिक स्थिर तटीय सुरक्षा के विपरीत, ये मोबाइल प्रणालियां परिचालन लचीलापन प्रदान करती हैं, जिससे रणनीतिक स्थानों पर तेजी से मिशन संभव होता है. 

30 मार्च, 2023 को, रक्षा मंत्रालय (MoD) ने NGMMCB-LR  प्रणालियों और ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस के NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) के साथ एक ऐतिहासिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे. 1,700 करोड़ रुपये (लगभग 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक मूल्य का यह सौदा खरीद (भारतीय) श्रेणी में आता है, जो स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप है.

प्रत्येक NGMMCB-LR बैटरी में चार टाट्रा प्रक्षेपण वाहन होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में तीन ब्रह्मोस मिसाइलें, एक मोबाइल कमांड पोस्ट और एक मोबाइल ट्रैकिंग रडार होता है. ये प्रणालियां भारतीय नौसेना की पुरानी हो चुकी पी-15 टर्मिट (स्टाइक्स) मिसाइल बैटरियों की जगह लेने के लिए डिजाइन की गई हैं, जो दशकों से सेवा में हैं.

NGMMCB-LR प्रणालियों की डिलीवरी शुरू में 2027 में शुरू होने वाली थी, लेकिन पोरबंदर और ओखा में ब्रह्मोस टीईएल की हालिया उपस्थिति से संकेत मिलता है कि भारतीय नौसेना इन प्रणालियों को समय से पहले चालू करने के लिए इनकी तैनाती में तेजी ला रही है या परीक्षण कर रही है.

भारत-पाक युद्ध
NGMMCB-LR की तैनाती भारतीय नौसेना की मौजूदा स्टाइक्स (पी-15 टर्मिट) तटीय मिसाइल बैटरियों की तुलना में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिन्हें पहली बार 1971 में शामिल किया गया था और जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि, स्टाइक्स मिसाइलें, अपने समय में प्रभावी होने के बावजूद, आधुनिक मिसाइल प्रणालियों की तुलना में अब पुरानी हो चुकी हैं. अपनी उन्नत ब्रह्मोस मिसाइलों के साथ NGMMCB-LR बेहतर गति, रेंज और सटीकता प्रदान करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत की तटीय सुरक्षा उभरते खतरों के विरुद्ध मजबूत बनी रहे.

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