India's Nuclear Attack Submarine: भारतीय नौसेना अपनी ताकत को एक नए मुकाम पर ले जाने की तैयारी में है. भारत ने अपना SSN यानी परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बी कार्यक्रम बहुत तेजी से आगे बढ़ाया है, और इस कार्यक्रम के तहत 12,000 टन की विशाल पनडुब्बियां बनाने की योजना है. यह पनडुब्बियां न केवल आकार में बड़ी होंगी, बल्कि इनकी क्षमता भी इतनी ज्यादा होगी कि ये दुनिया की सबसे आधुनिक पनडुब्बियों, जैसे अमेरिका की नौसेना की वर्जिनिया क्लास ब्लॉक-वी पनडुब्बियों को भी टक्कर दे सकती हैं.
क्या है भारत का SSN प्रोग्राम?
भारत का SSN यानी Ship Submersible Nuclear प्रोग्राम परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बियां बनाने पर केंद्रित है. ये पनडुब्बियां पारंपरिक पनडुब्बियों से कई मायनों में अलग होती हैं. दरअसल, ये पनडुब्बियां अपने परमाणु रिएक्टर की मदद से चलती हैं, जिससे इन्हें ईंधन भरने के लिए सतह पर आने की जरूरत नहीं होती. इस वजह से ये महीनों तक पानी के अंदर रह सकती हैं.
अमेरिका की 'वर्जिनिया क्लास' से तुलना?
अमेरिका की 'वर्जिनिया क्लास ब्लॉक-वी' पनडुब्बियां दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक पनडुब्बियों में से एक हैं. इनकी तुलना में भारत की 12,000 टन की SSN पनडुब्बियों के प्रोजेक्ट से यह साफ होता है कि भारत अपनी नौसेना के लिए विश्व स्तरीय तकनीक पर ध्यान दे रहा है.
ऐसे में, इस तरह की बड़ी पनडुब्बियां एक साथ कई मिसाइलों और टारपीडो को ले जा सकती हैं, जिससे वे हिंद महासागर में दूर-दराज के लक्ष्यों को भी निशाना बना सकती हैं. वहीं, इस प्रोजेक्ट से भारत की पानी के नीचे की युद्ध क्षमता में एक बड़ा सुधार होगा, जो कि चीन की बढ़ती नौसेना के लिए एक सीधा और कड़ा जवाब होगा.
क्या होगी नई SSN पनडुब्बियों की खासियत
इन पनडुब्बियों में वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) लगा होगा, जिसमें 40 से ज्यादा मिसाइलें एक साथ रखी जा सकती हैं. वहीं, इन मिसाइलों में ब्रह्मोस और भविष्य में विकसित होने वाली हाइपरसोनिक मिसाइलें भी शामिल होंगी, जो दूर-दराज के ज़मीनी और समुद्री लक्ष्यों पर अचूक निशाना लगा सकती हैं.
साथ ही, इन पनडुब्बियों में 190 मेगावाट का CLWR-B2 कॉम्पैक्ट लाइट-वॉटर रिएक्टर लगा होगा. यह भारत के मौजूदा रिएक्टरों से कहीं ज्यादा शक्तिशाली है, जो पनडुब्बियों को असीमित गति और कई महीनों तक पानी के अंदर रहने की क्षमता देगा.
इतना ही नहीं, ये पनडुब्बियां पंप-जेट प्रोपल्सन तकनीक से चलेंगी. यह तकनीक इन्हें पारंपरिक प्रोपेलर वाली पनडुब्बियों से कहीं ज्यादा शांत बनाती है, जिससे दुश्मन के सोनार के लिए इनका पता लगाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा.
वहीं, ये पनडुब्बियां सिर्फ हमलावर नहीं होंगी, बल्कि ये दुश्मन की पनडुब्बियों और जहाजों को नष्ट करने, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, निगरानी रखने और विशेष बलों को गुप्त मिशन पर भेजने जैसे कई अहम काम कर सकती हैं. बता दें, एक एशियन हाथी का वजन करीब 4 टन होता है. ऐसे में, इन परमाणु पनडुब्बियों का वजन 12000 टन होने के नाते 3,000 हाथियों के बराबर वजन होगा.
ये भी पढ़ें- ड्रैगन की हेकड़ी निकलेगा भारत का 'आकाश', उसके 'दुश्मन' देश से करेगा हर वार का सर्वनाश; जानें कहां पहुंची बात
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.