Indian Navy Black Shark torpedo deal: भारत, एयरफोर्स व पैदल सेना के साथ-साथ, इंडियन नेवी को भी आधुनिक हथियारों से लैस कर रहा है. जिसके लिए तमाम मिसाइलों, पनडुब्बियों व टोही विमानों का जखीरा तैयार किया जा रहा है. इसी कड़ी में, एक इटली की फर्म, व्हाइटहेड अलेनिया सिस्टेमी सुबाकुई, भारतीय नौसेना को हैवीवेट टॉरपीडो की सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के करीब है. आइए इस डील व टॉरपीडो के बारे में आसान भाषा में समझते हैं, और जानते हैं कैसे यह समंदर में ताकत को कई गुना बढ़ाएगा.
इटली की फर्म मुहैया कराएगी एडवांस टॉरपीडो
इटली की फर्म, व्हाइटहेड अलेनिया सिस्टेमी सुबाकुई के साथ-साथ, इस रेस में फ्रांस का नेवल ग्रुप भी शामिल है. दरअसल, नौसेना अपनी कलवरी-क्लास (स्कॉर्पीन) पनडुब्बियों को लैस करने के लिए 48 टॉरपीडो के लिए एक वैश्विक टेंडर जारी किया है, जिसकी कुल जरूरत 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत 200 से अधिक यूनिट्स की है.
ऐसे में, इतालवी कंपनी न केवल अपने एडवांस ब्लैक शार्क टॉरपीडो के साथ इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए सामने आई है, बल्कि संभावित निर्यात मांगों को पूरा करने के लिए भारत में लोकल प्रोडक्शन फैसिलिटी यानी स्थानीय उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने की भी योजना बना रही है.
क्या है ब्लैक शार्क टॉरपीडो की खासियत
इतालवी ब्लैक शार्क एडवांस्ड टॉरपीडो 533mm यानी 21-इंच का एक दोहरे उद्देश्य वाला हैवी वेट टॉरपीडो है. जिसे पनडुब्बियों और सतह के जहाजों को बेअसर करने के लिए डेवलप किया गया है.
बता दें, यह लिथियम-पॉलीमर बैटरी और एक ब्रशलेस मोटर ड्राइविंग पंप-जेट से संचालित होता है. जिसमें 350 किलोग्राम का उच्च-विस्फोटक वारहेड लगा है. वहीं, 50 समुद्री मील की स्पीड के साथ ब्लैक शार्क HWT की रेंज करीब 50 किमी है.
साथ ही, इसका एडवांस सोनार ट्रांसमिटिंग और रिसीविंग आर्किटेक्चर (ASTRA) गहरे और तटीय जल में एडवांस काउंटरमेजर के खिलाफ भी सटीक वायर-गाइडेड और ध्वनिक होमिंग को प्रभावी बनाता है.
ब्लैक शार्क का डिजाइन स्कॉर्पीन, U209, U214, और U212 पनडुब्बियों के लिए एकदम परफेक्ट है, और इसकी रिचार्जेबल बैटरी 100 ट्रेनिंग लॉन्च तक की अनुमति देती है, जिससे यह एक कम लागत वाला घातक हथियार बन जाती है.
कलवरी क्लास को क्यों चाहिए हैवी वेट टॉरपीडो?
रिपोर्ट के मुताबिक, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा फ्रेंच टेक्नोलॉजी से निर्मित भारतीय नौसेना की कलवरी-क्लास पनडुब्बियां, एडवांस हैवीवेट टॉरपीडो के साथ एंटी-सबमरीन वारफेयर और एंटी-सरफेस वारफेयर के लिए डिजाइन की गई थीं.
हालांकि, पिछली देरी और विवादों के कारण ये पनडुब्बियां अभी भी पुराने रूसी टॉरपीडो पर निर्भर हैं, जिससे उनकी परिचालन क्षमता सीमित हो गई है. नौसेना को शुरुआती बैच में 48 हैवी वेट टॉरपीडो की जरूरत है, जिससे 6 परिचालन कलवरी-क्लास पनडुब्बियों और बातचीत के तहत तीन अतिरिक्त यूनिट्स को लैस किया जा सके.
ऐसे में, इस कमी को पूरा करने के लिए कुल 200 से अधिक यूनिट्स का लक्ष्य रखा गया है.
क्या है टॉरपीडो टेंडर का इतिहास व वर्तमान स्थिति?
रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 3,000 करोड़ रुपये का यह टेंडर HWTs खरीदने के दो असफल प्रयासों के बाद आया है. दरअसल, 2008 में WASS के ब्लैक शार्क टॉरपीडो के लिए एक डील लियोनार्डो की मूल कंपनी, फिनमेकेनिका से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण रद्द हो गई थी. जिसके चलते उन्हें अस्थायी रूप से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था.
इसके बाद, फ्रांसीसी कंपनी द्वारा F21 टॉरपीडो की पेशकश भी सफल नहीं हो पाई. ऐसे में, WASS पर से प्रतिबंध हटने के बाद ब्लैक शार्क के लिए दरवाजा फिर से खुल गया है.
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