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भारत से बचकर रहे दुश्मन, आ रहा है मौत का दूसरा नाम; 'ब्रह्मास्त्र' से लैस होगी घातक सबमरीन

P-75I Submarines with Brahmos Missile: भारतीय नौसेना प्रोजेक्ट 75-इंडिया के तहत अपनी सामरिक शक्ति बढ़ा रही है. इसके तहत 6 उन्नत डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज (ER) सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस होंगी, जो 800 किमी तक सटीक हमले कर सकती हैं. इनमें वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) होगा, जो गुप्त और तेज हमलों की क्षमता देगा.

भारत से बचकर रहे दुश्मन, आ रहा है मौत का दूसरा नाम; 'ब्रह्मास्त्र' से लैस होगी घातक सबमरीन
  • ब्रह्मोस-ER मिसाइल से लैस होगी सबमरीन
  • इसकी रेंज 800 किलोमीटर के आसपास

P-75I Submarines with Brahmos Missile: भारतीय नौसेना अपनी ताकत को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठा रही है. प्रोजेक्ट 75-इंडिया (P-75I) की नए डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन को ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज (ER) सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस किया जाएगा. यह मिसाइल पानी के अंदर से 800 किलोमीटर दूर तक जमीन और समुद्र पर सटीक हमले कर सकती है. यह कदम भारत को अपने दुश्मनों के खिलाफ मजबूती देगा.

Deeply Attack करने की ताकत मिलेगी
ब्रह्मोस एयरोस्पेस पूर्व हेड डॉ. सुधीर मिश्रा ने बताया कि इन नए सबमरीनों में कम से कम आठ वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) मॉड्यूल लगाए जाएंगे. VLS की मदद से मिसाइलें सीधे ऊपर की ओर छोड़ी जा सकती हैं, जिससे सबमरीन पानी के अंदर रहते हुए तेजी से सीक्रेट हमला कर सकती है. इस तकनीक के जरिये सबमरीन ना सिर्फ निगरानी करेगी, बल्कि दुश्मन के इलाके में Deeply Attack करने की ताकत देती है. 

450 किमी से बढ़कर 800 किमी हुई
ब्रह्मोस-ER मिसाइल भारत और रूस के सहयोग से बनी ब्रह्मोस मिसाइल का अपग्रेडेड वर्जन है. इसकी रेंज 450 किलोमीटर से बढ़कर 800 किलोमीटर हो गई है. यह मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज चलती है, जिससे इसे रोकना बहुत मुश्किल है. यह सैटेलाइट और रडार की मदद से सटीक निशाना लगाती है. इसके अलावा, पुराने स्कॉर्पीन और किलो क्लास सबमरीनों को ब्रह्मोस-नेक्स्ट जेनरेशन (NG) मिसाइल से लैस किया जाएगा. यह मिसाइल छोटी और हल्की है, जिसे बिना बड़े बदलाव के टॉरपीडो ट्यूब से छोड़ा जा सकता है.

क्या है P-75I प्रोजेक्ट?
बता दें कि P-75I प्रोजेक्ट के तहत छह आधुनिक डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन बनाई जानी हैं. इसके लिए जर्मनी की थायसनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) को भारत के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के साथ मिलकर काम करने के लिए चुना गया. ये सबमरीन जर्मनी के HDW क्लास 214 सबमरीन का एडवांस वर्जन होंगी, जिन्हें भारतीय नौसेना की जरूरतों के हिसाब से बनाया जाएगा.

देर तक पानी में रह सकती है
इन सबमरीनों में एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन-AIP सिस्टम भी होगा, जिसे जर्मन कंपनी और बेहतर बनाएगी. AIP तकनीक सबमरीन को हफ्तों तक पानी के अंदर रहने की क्षमता देती है, जिससे इसे पकड़ना मुश्किल हो जाता है. पुरानी सबमरीनों को बार-बार पानी के ऊपर आना पड़ता था, जिससे वे आसानी से पकड़ी जाती थी. 

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