trendingNow1zeeHindustan2869046
Hindi news >> Zee Hindustan>> राष्ट्र
Advertisement

इंडियन नेवी का 'गेम-चेंजिंग' प्लान, अब ताबड़तोड़ तैयार होंगे 'विध्वंसक' वॉरशिप; दुश्मन सोच भी नहीं पाएगा

Indian Navy P-18 destroyer standardization plan: इसका मुख्य लक्ष्य नौसेना के पूरे बेड़े में समानता लाना है. इससे भविष्य के जहाजों के डिजाइन, निर्माण और मरम्मत में लगने वाला समय और पैसा, दोनों में भारी कमी आएगी.

इंडियन नेवी का 'गेम-चेंजिंग' प्लान, अब ताबड़तोड़ तैयार होंगे 'विध्वंसक' वॉरशिप; दुश्मन सोच भी नहीं पाएगा
  • इंडियन नेवी के युद्धपोत एक ही डिजाइन के बनेंगे
  • प्रोजेक्ट-18 के तहत तैयार हो रहे विध्वंसक वॉरशिप

Indian Navy P-18 destroyer standardization plan: इंडियन नेवी अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव करने जा रही है, जो भविष्य में उसे एक और भी शक्तिशाली और प्रभावी बल बना देगा. दरअसल, अभी तक नौसेना हर नए युद्धपोत के लिए एक अलग डिजाइन का इस्तेमाल करती थी, जिससे उत्पादन और रखरखाव में काफी खर्च और समय लगता था. लेकिन अब, प्रोजेक्ट-18 के तहत, नौसेना ने एक ऐसा मानकीकृत और लागत-प्रभावी ढांचा बनाने का फैसला किया है, जो आने वाली कई युद्धपोत सीरीज का आधार बनेगा.

P-18 ताकत और मानकीकरण का मेल
P-18 विध्वंसक को भविष्य के युद्धों को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है. यह मानकीकृत प्लेटफॉर्म होने के बावजूद, इसकी मारक क्षमता और तकनीकी खूबियां किसी भी आधुनिक युद्धपोत से कम नहीं होंगी.

बता दें, यह विध्वंसक अपनी असाधारण मारक क्षमता के लिए जाना जाएगा, क्योंकि इसे कुल 144 मिसाइल सेल से लैस किया जाएगा. ये सेल कई तरह की मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता रखते हैं. इनमें ब्रह्मोस की एक्सटेंडेड-रेंज जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें होंगी, जिनकी मारक क्षमता 500 से 600 किलोमीटर तक हो सकती है.

इसके अलावा, यह लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली बराक-8 मिसाइल से भी लैस होगा, जिसकी रेंज 100 से 150 किलोमीटर तक है. वहीं, यह विध्वंसक एक अत्याधुनिक फेज्ड-एरे रडार से लैस होगा, जो 400 किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी तक हवाई और समुद्री लक्ष्यों पर नजर रख सकता है. यह रडार एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक करने और उन पर हमला करने की क्षमता रखता है.

इतना ही नहीं, यह एक 'स्टील्थ' विध्वंसक है, जिसका मतलब है कि इसका डिजाइन ऐसा है कि यह दुश्मन के रडार पर बहुत मुश्किल से पकड़ में आएगा. इसकी यह खासियत इसे युद्ध के मैदान में एक बड़ी रणनीतिक बढ़त देगी.

मानकीकरण से क्या होगा फायदा?
P-18 का डिजाइन एक ब्लूप्रिंट के रूप में काम करेगा, जिससे भविष्य में बनने वाले फ्रिगेट और अन्य बड़े युद्धपोत भी इसी पर आधारित होंगे. इससे नौसेना को कई बड़े फायदे होंगे. जैसे, एक ही डिजाइन होने के कारण, जहाजों को बनाने में लगने वाला समय कम होगा. वहीं, बार-बार नए डिजाइन बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे डिजाइन और उत्पादन का खर्च बचेगा.

गौरतलब है कि चूंकि ज्यादातर पुर्जे एक जैसे होंगे, इसलिए मरम्मत और रख-रखाव का काम भी आसान और सस्ता होगा. साथ ही, नौसैनिकों को सभी जहाजों पर काम करने के लिए एक ही तरह का प्रशिक्षण मिलेगा.

ऐसे में, जंग के मैदान में इंडियन नेवी के पास युद्धपोत का जखीरा होगा. जब एक ही डिजाइन के युद्धपोत होंगे तो उन्हें बनाने में भी कम वक्त लगेगा. जिससे दुश्मन पूरी तरह बैकफुट पर होगा.

ये भी पढ़ें- अचानक 'ब्रह्मोस' का जखीरा क्यों खरीद रही भारतीय सेना? सुखोई के साथ पनडुब्बी से भी होगी लॉन्च; आखिर किसकी तैयारी

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

Read More