Indian Navy Project-18 destroyers features: भारत भविष्य में इंडियन नेवी की ताकत को दुनिया की सुपरपावर बनाने के लिए कई बड़े कदम उठा रही है. ऐसे में, भारतीय नौसेना जहां दुनिया की सबसे शक्तिशाली नौसेनाओं में से एक के रूप में पहचानी जाएगी. दरअसल, यह बदलाव आ रहा है भारत के आगामी प्रोजेक्ट-18 क्लास डिस्ट्रॉयर से. ये डिस्ट्रॉयर सिर्फ युद्धपोत नहीं होंगे, बल्कि एक चलती-फिरती किलेबंदी होंगे, जो बैलिस्टिक मिसाइलों को भी हवा में नष्ट कर सकते हैं और हाइपरसोनिक गति से दुश्मन पर हमला कर सकते हैं.
प्रोजेक्ट-18 से बौखलाई दुनिया
प्रोजेक्ट-18 डिस्ट्रॉयर, भारत के प्रोजेक्ट-15बी जैसे मौजूदा डिस्ट्रॉयर से कहीं अधिक बड़े और शक्तिशाली होंगे. इनका वजन 10,000 से 11,000 टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है, जो इन्हें एक विशालकाय जहाज बनाता है. बता दें, ये जहाज एडवांस स्टील्थ तकनीक से लैस होंगे, जिससे ये दुश्मन के रडार पर आसानी से नजर नहीं आएंगे. इनकी सबसे बड़ी खासियत इनकी दोहरी भूमिका होगी. दुश्मन के मिसाइल हमलों से खुद की रक्षा करना और हाइपरसोनिक गति से उन पर हमला करना.
दुश्मन के लिए दोहरी चुनौती
प्रोजेक्ट-18 डिस्ट्रॉयर को कुछ ऐसी खूबियों के साथ डिजाइन किया जा रहा है, जो इसे भारत के समुद्री इतिहास में एक नया अध्याय लिख देगा.
पहला सी-बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD)- यह भारत के लिए एक गेमचेंजर साबित होगा. ये डिस्ट्रॉयर दुश्मन की तरफ से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करके उन्हें नष्ट करने में सक्षम होंगे. यह क्षमता भारत की मिसाइल शील्ड को और भी मजबूत करेगी, जिससे नौसेना और तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
दूसरा हाइपरसोनिक हथियारों का जखीरा- इन डिस्ट्रॉयरों में प्रोजेक्ट विष्णु के तहत विकसित हाइपरसोनिक एंटी-शिप और लैंड-अटैक क्रूज मिसाइलें भी तैनात होंगी. ये मिसाइलें ध्वनि की गति से 5 गुना से भी ज्यादा तेज होंगी, जिससे इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना लगभग नामुमकिन हो जाएगा. इसके साथ ही, प्रोजेक्ट कुश के तहत विकसित 250 किमी की रेंज वाली एम-2 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी इनमें शामिल होंगी.
क्या हैं इन डिस्ट्रॉयर्स की अन्य खूबियां?
इनमें एक नया और शक्तिशाली एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार होगा, जो इन्हें एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक करने में मदद करेगा. साथ ही, भविष्य में इनमें ऊर्जा आधारित हथियारों के लिए इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन प्रणाली भी लगाई जाएगी. इतना ही नहीं, इन जहाजों में मिसाइलों के लिए एक बड़ा VLS एरे होगा, जो इन्हें कई मिसाइलें एक साथ फायर करने की क्षमता देगा.
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