Indian Navy submarine INS Sindhukirti: भारतीय नौसेना की ताकत में एक और बड़ा इजाफा हुआ है. विशाखापट्टनम में स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय नौसेना को उसकी किलो-क्लास पनडुब्बी INS सिंधुकीर्ति को सफलतापूर्वक सौंप दिया है. यह पनडुब्बी करीब 9 से 10 साल के लंबे और मुश्किल 'रीफिटिंग' और आधुनिकीकरण प्रोग्राम के बाद अपनी सेवा में वापस लौटी है. यह रीफिट सिर्फ एक मरम्मत का काम नहीं था, बल्कि इसने पनडुब्बी को और भी अधिक घातक और आधुनिक बना दिया है, जिससे अब यह अगले 10 से 15 साल तक भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति बनी रहेगी.
INS सिंधुकीर्ति की रीफिटिंग में क्या-क्या खास हुआ?
यह 9 साल का लंबा रीफिट कार्यक्रम किसी भी पनडुब्बी के लिए एक बड़ी और तकनीकी रूप से जटिल प्रक्रिया होती है. इस दौरान, पनडुब्बी के लगभग हर हिस्से को खोला गया, मरम्मत की गई और उसे दोबारा जोड़ा गया. इस रीफिट से पनडुब्बी को कई नई खूबियां मिली हैं, जो इसे आधुनिक युद्ध के लिए तैयार करती हैं.
आधुनिक कॉम्बैट सूट से लैस
पनडुब्बी के कॉम्बैट सूट को पूरी तरह से नया और आधुनिक बनाया गया है. इसमें अत्याधुनिक सोनार, संचार और नेविगेशन सिस्टम लगाए गए हैं. इन अपग्रेड्स से पनडुब्बी अब पानी के अंदर भी दुश्मन का आसानी से पता लगा सकती है और उनके साथ बेहतर तरीके से संपर्क स्थापित कर सकती है.
हथियारों की क्षमता में इजाफा
रीफिट के दौरान, पनडुब्बी के हथियार लॉन्चिंग सिस्टम को भी एडवांस किया गया है. अब यह नए और अधिक प्रभावी टारपीडो और मिसाइलों को ले जा सकती है, जिससे इसकी मारक क्षमता में भारी बढोत्तरी हुई है. बता दें, रीफिट का मुख्य उद्देश्य पनडुब्बी के जीवनकाल को बढ़ाना था. इसके लिए, पनडुब्बी के दबाव वाले हिस्सों की मरम्मत और उन्हें मजबूत बनाया गया है.
साथ ही, इसके प्रोपल्शन और अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियों को भी ठीक किया गया है. यह सुनिश्चित करता है कि पनडुब्बी आने वाले कई सालों तक गहरे पानी में सुरक्षित तरीके से काम कर सके.
हिंद महासागर में भारत की बढ़ती ताकत
INS सिंधुकीर्ति की वापसी भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ा रणनीतिक कदम है. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति को देखते हुए, भारत के लिए अपनी पनडुब्बी बेड़े को मजबूत रखना बहुत जरूरी है.
किलो-क्लास पनडुब्बियां, जिन्हें 'साइलेंट किलर' के नाम से भी जाना जाता है, अपनी सीक्रेट और घात लगाकर हमला करने की क्षमता के लिए मशहूर हैं. INS सिंधुकीर्ति का बेड़े में वापस आना, न केवल भारत की पनडुब्बी ताकत को बनाए रखता है, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की समुद्री रक्षा और शक्ति को भी बढ़ाएगी. वहीं, इस रीफिट का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें 100% स्वदेशी उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है.