भारत न केवल अपनी जमीनी सीमाओं और आसमान को सुरक्षित कर रहा, बल्कि समुद्र की गहराई में भी दुश्मनों की कब्र बनाने के लिए जुट चुका है. इसके लिए DRDO एक ऐसा घातक हथियार तैयार कर रहा है, जो समुद्र के भीतर सैकड़ों किलोमीटर दूर से ही दुश्मनों को तबाह कर देगा. आइए इस हथियार की ताकत व रेंज के बारे में जानते हैं.
DRDO बना रहा एडवांस टारपीडो
रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO अंडरवाटर वॉरफेयर में एक बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है. डीआरडीओ एक नेक्स्ट-जेनरेशन हेवी वेट टॉरपीडो (HWT) विकसित कर रहा है.
बता दें, यह एडवांस्ड HWT मौजूदा टॉरपीडो की ऑपरेशनल रेंज को मौजूदा 40-50 किमी से बढ़ाकर 120-150 किमी तक कर सकता है, जिससे भारतीय नौसेना की ताकत में कई गुना का इजाफा होगा. यह दुनिया के सबसे एडवांस्ड टॉरपीडो में शामिल होने की क्षमता रखता है.
HWT टारपीडो में क्या होगा खास?
मौजूदा टॉरपीडो इंटरनल बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक मोटरों पर निर्भर करते हैं, उनकी कमियों को दूर करने के लिए नया HWT इनोवेटिव प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगा.
साथ ही, DRDO टॉरपीडो की रेंज और एंड्योरेंस बढ़ाने के लिए हाइब्रिड प्रोपल्शन सिस्टम या पूरी तरह से नई प्रोपल्शन मैकेनिज्म पर काम कर रहा है. हालांकि, खास डिटेल्स अभी सामने नहीं आई हैं, लेकिन इसका फोकस अप्रत्याशित दूरी पर टारगेट को एंगेज करने के लिए ज्यादा स्पीड और लगातार परफॉरमेंस हासिल करने पर है.
रेंज और टेक्नोलॉजी का बेजोड़ मेल
रिपोर्ट के मुताबिक, यह नेक्स्ट-जेनरेशन HWT टारपीडो एडवांस्ड गाइडिंग सिस्टम से भी लैस होगा. यह टारगेट हासिल करने के लिए केवल लॉन्च करने वाली सबमरीन पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (MPA) और सैटेलाइट से रियल-टाइम गाइडिंग को इंटीग्रेट करेगा.
इससे दूर-दूर तक टारगेट को सटीकता से ट्रैक और एंगेज किया जा सकेगा. यह नेटवर्क्ड अप्रोच कॉम्प्लेक्स मैरीटाइम एनवायरनमेंट में टॉरपीडो की मारक क्षमता को बढ़ाएगा, जिससे इंडियन नेवी को समुद्र के भीतर एक घातक हथियार मिलेगा.
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