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समंदर के भीतर हो रहा कुछ बड़ा? भारत 'ताबड़तोड़' बना रहा पनडुब्बी; अब 2500 टन का ये नया 'हथियार' हो रहा तैयार

Indian Navy submarine Project 76: ये पनडुब्बियां आधुनिक तकनीकों से लैस होंगी, जिनमें दो फीचर्स VLS और AIP की चर्चा सबसे ज्यादा है. जो इन्हें पानी के अंदर एक असली साइलेंट किलर बना देंगी.

समंदर के भीतर हो रहा कुछ बड़ा? भारत 'ताबड़तोड़' बना रहा पनडुब्बी; अब 2500 टन का ये नया 'हथियार' हो रहा तैयार
  • 2500 टन की होगी नई पनडुब्बी
  • VLS और AIP टेक्नोलॉजी से लैस

Indian Navy submarine Project 76: इंडियन नेवी की ताकत में जबरदस्त तरीके से इजाफे की तैयारी चल रही है. पिछले कुछ महीनों से भारत लगातार न केवल एडवांस जंगी युद्धपोत बनाने का एलान कर रहा है, बल्कि आधुनिक पनडुब्बी भी बनाने की घोषणा की है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिरकार समंदर के भीतर ऐसा क्या हो रहा है, जिसके बाद भारत इंडियन नेवी की ताकत बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है. आइए आसान भाषा में पूरा माजरा समझते हैं.

बनेगी 2500 टन की विशाल पनडुब्बी
दरअसल, प्रोजेक्ट 76 के तहत भारत एक ऐसी पनडुब्बी का डिजाइन तैयार कर रहा है, जिसका पानी में वजन 2500 टन होगा. जो मौजूदा Kalvari-क्लास पनडुब्बियों से करीब 1000 टन ज्यादा है, जिनका वजन करीब 1800 टन है. पनडुब्बी के वजन में यह बढोतरी इसलिए की गई है, ताकि इसमें दो सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक तकनीकों को आसानी से शामिल किया जा सके. इसमें वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) और एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) जैसी तकनीकें शामिल होंगी, जो इसे दुनिया की सबसे एडवांस पनडुब्बियों की श्रेणी में खड़ा कर देंगी.

क्या है VLS और AIP टेक्नोलॉजी?
इस नई पनडुब्बी की दो सबसे बड़ी खासियतें हैं, जो इसे बेहद खतरनाक बना देंगी.
पहला वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS): यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें मिसाइलों को पनडुब्बी के अंदर से वर्टिकली लॉन्च किया जा सकता है. यह पनडुब्बी को एक साथ ज्यादा मिसाइलें ले जाने और उन्हें तेजी से फायर करने की क्षमता देगा. इससे पनडुब्बी की हमला करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी.

दूसरा एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP)- AIP तकनीक एक पनडुब्बी को बिना ऑक्सीजन लिए महीनों तक पानी के अंदर रहने की क्षमता देती है. इसका मतलब यह है कि पनडुब्बी को बार-बार सतह पर नहीं आना पड़ेगा, जिससे वह दुश्मन की नज़रों से बचकर लंबे समय तक मिशन पर रह सकेगी. यह पारंपरिक पनडुब्बियों की सबसे बड़ी कमजोरी को दूर करती है, क्योंकि अब तक उन्हें हर कुछ दिनों में बैटरी चार्ज करने के लिए सतह पर आना पड़ता था.

भविष्य की समुद्री जंग के लिए तैयारी
'प्रोजेक्ट 76' भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक बड़ा हिस्सा है. इस परियोजना का लक्ष्य पूरी तरह से स्वदेशी पनडुब्बी का डिजाइन तैयार करना है, जिससे भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी.

रिपोर्ट के मुताबिक, हिंद महासागर में चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत को देखते हुए, भारत के लिए एक ऐसी पनडुब्बी बेड़ा तैयार करना बहुत जरूरी है, जो दुश्मन के किसी भी खतरे का सामना कर सके. यह नई पनडुब्बी अपने VLS और AIP जैसे फीचर्स के साथ भारतीय नौसेना को एक ऐसी ताकत देगी, जिससे वह पानी के अंदर अपनी धाक जमा सके.

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