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इंडियन नेवी ने ₹2.4 लाख करोड़ का बनाया 'घातक-प्लान', समुद्र में उतारेगी 26 नए 'किलर' जहाज

Indian Navy: इंडियन नेवी लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रही है. ऐसे में, करीब 2.4 लाख करोड़ खर्च कर समुंदर में जल्द ही नए युद्धपोत व सबमरीन उतारने वाली है. आइए प्रोजेक्ट के बारे में जानते हैं.

इंडियन नेवी ने ₹2.4 लाख करोड़ का बनाया 'घातक-प्लान', समुद्र में उतारेगी 26 नए 'किलर' जहाज
  • पुराने जहाजों को रिप्लेस करेगी इंडियन नेवी
  • नए प्रोजेक्ट में हजारों करोड़ रुपए होंगे खर्च

Indian Navy warship plan: भारतीय नौसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए एक बड़ी योजना पर काम कर रही है. नौसेना ने 2.4 लाख करोड़ रुपये की लागत से 26 नए युद्धपोत और पनडुब्बियां खरीदने का प्लान बनाया है. इस प्लानिंग की सबसे बड़ी बात है कि इन जहाजों को भारत में ही बनाया जाएगा.

नौसेना का बेड़ा होगा और भी मजबूत
वर्तमान में, भारतीय नौसेना के लगभग 17 युद्धपोत और 9 पनडुब्बियां विभिन्न चरणों में मंजूरी का इंतजार कर रही हैं. जिसे जल्द ही भारत सरकार से हरी झंडी मिलने वाली है. ये नए जहाज मौजूदा 61 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के बेड़े में शामिल होंगे.

नौसेना का लक्ष्य 2035 तक 175 जहाजों का बेड़ा तैयार करना है. यह संख्या चीनी नौसेना के 355 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के मुकाबले कम है, लेकिन इन नए जहाजों के आने से नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी.

प्रमुख परियोजनाएं और उनकी लागत
इंडियन नेवी की कई योजनाएं हैं, जिनकी लागत अलग-अलग बताई जा रही है.
प्रोजेक्ट 17 बी- 70,000 करोड़ रुपये की लागत से 7 नेक्स्ट जनरेशन फ्रिगेट बनाए जाएंगे.
मल्टी पर्पस वेसल्स- 2 मल्टी पर्पस वेसल्स का निर्माण भी जल्द शुरू होगा.
प्रोजेक्ट 75-इंडिया (I)- इसके तहत 70,000 करोड़ रुपये की लागत से 6 आधुनिक पनडुब्बियां बनाई जाएंगी.
प्रोजेक्ट 75 (ऐड-ऑन)- 3 स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियां, जिनकी लागत लगभग 36,000 करोड़ रुपये होगी.
नेक्स्ट जनरेशन कॉर्वेट्स (NGC)- 8 NGC के लिए भी लगभग 36,000 करोड़ रुपये की परियोजना पाइपलाइन में है.

पुराने जहाजों को बदलने की जरूरत
भारतीय नौसेना के कुछ दिल्ली क्लास डिस्ट्रॉयर जहाज 1997 में शामिल किए गए थे. ये 25 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं. मेजर ओवरहाल और मरम्मत के बाद इन्हें 10-15 साल और चलाया जा सकता है. लेकिन नौसेना को नए जहाजों की जरूरत है ताकि पुराने जहाजों को बदला जा सके और बेड़े की संख्या में कमी न आए.

रिटायर्ड कमोडोर अनिल जय सिंह, जो एक रक्षा विश्लेषक भी हैं, का कहना है कि नए युद्धपोत और पनडुब्बियों को जोड़ने का उद्देश्य पुराने प्लेटफार्मों को आधुनिक और बेहतर तकनीकों से लैस प्लेटफार्मों से बदलना है. नए जहाजों के आने से नौसेना की पानी के अंदर लड़ने की क्षमता भी मजबूत होगी.

कुल मिलाकर, ये परियोजनाएं भारतीय नौसेना को एक अधिक आधुनिक और शक्तिशाली बल बनाने में मदद करेंगी, जो भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा.

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