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इंडियन नेवी समंदर के अंदर बनेगी 'बाहुबली', मिलेंगी 'जर्मन ताकत' वाली 9 घातक सबमरीन; अदृश्य होकर करेगी प्रहार

Indian Navy submarines Project 75I: भारतीय नौसेना अपनी पानी के अंदर की ताकत को कई गुना बढ़ाने की तैयारी में है. दरअसल नौसेना प्रोजेक्ट 75I के तहत 9 नई और बेहद घातक सबमरीन खरीदने पर विचार कर रही है. इन सबमरीन में जर्मन तकनीक होंगी. वहीं इसके लिए, मौजूदा प्रोजेक्ट 75 की 3 कालवारी क्लास की सबमरीन का ऑर्डर रद्द किया जा सकता है, ताकि नई और ज्यादा एडवांस्ड सबमरीन ली जा सकें.

इंडियन नेवी समंदर के अंदर बनेगी 'बाहुबली', मिलेंगी 'जर्मन ताकत' वाली 9 घातक सबमरीन; अदृश्य होकर करेगी प्रहार
  • जर्मन AIP टेक्नोलॉजी से लैस होंगी सबमरीन
  • पानी में कम शोर व अदृश्य होकर करती है वार

Indian Navy German AIP technology submarines deal:  भारतीय नौसेना अब अपनी पुरानी पनडुब्बी बेड़े को आधुनिक बनाने और अपनी ताकत को कई गुना बढ़ाने के लिए एक नई योजना पर काम कर रही है. ऐसे में, प्रोजेक्ट 75I के तहत 9 नई और बेहद एडवांस्ड पनडुब्बियों को खरीदने पर जोर दे रही है. इन नई पनडुब्बियों में जर्मनी की अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा, जिससे हमारी नौसेना समंदर के नीचे एक अजेय ताकत के रूप में उभरेगी. आइए जानते हैं क्या है प्रोजेक्ट 75I वहीं सबमरीन डील को लेकर अपडेट क्या है.

क्या है इंडियन नेवी का प्रोजेक्ट 75I?
प्रोजेक्ट 75I भारतीय नौसेना का एक महत्वाकांक्षी प्रोग्राम है, जिसका लक्ष्य अत्याधुनिक पारंपरिक यानी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को अपने खेमे में शामिल करना है. इस प्रोजेक्ट को भारतीय शिपयार्डों में विदेशी सहयोग से मेक इन इंडिया पहल के तहत बनाया जाना है.

पहले इस प्रोजेक्ट के तहत 6 पनडुब्बियां खरीदने की योजना थी, लेकिन अब नौसेना 9 पनडुब्बियां हासिल करने पर विचार कर रही है. यह संख्या में बढ़ोतरी और तकनीकी अपग्रेड दोनों का मिला-जुला फैसला है, जो भारत की बढ़ती रक्षा जरूरतों को पूरा करेगा.

जर्मन टेक्नोलॉजी से होंगी लैस
ये पनडुब्बियां जर्मनी की जानी-मानी सबमरीन टेक्नोलॉजी से लैस होंगी. खासकर, थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स की टाइप 214 पनडुब्बियां अपनी एडवांस क्षमताओं के लिए मशहूर हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत उनका एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम होगा. वहीं, AIP टेक्नोलॉजी पनडुब्बियों को पानी के अंदर लंबे समय तक बिना ऑक्सीजन के काम करने में मदद करती है, जिससे उन्हें बार-बार ऊपर आने की जरूरत नहीं पड़ती. यह उन्हें दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल से पकड़ने वाला और ज्यादा घातक बना देता है.

इसके अलावा, जर्मन पनडुब्बियां अपनी कम शोर और बेहतर हथियारों को ले जाने की क्षमता के लिए भी जानी जाती हैं, जिससे वे समंदर के अदृश्य शिकारी बन जाती हैं.

कालवारी क्लास को लेकर क्यों बदला गया प्लान?
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय नौसेना अपनी प्रोजेक्ट 75 के तहत शेष 3 कालवारी क्लास स्कॉर्पीन डिजाइन पनडुब्बियों का ऑर्डर छोड़ने पर विचार कर रही है. यह एक बड़ा रणनीतिक बदलाव है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि नौसेना अब अपनी प्राथमिकताएं बदल रही है. वह तुरंत ऐसी पनडुब्बियां चाहती है जो ज्यादा एडवांस्ड हों, खासकर AIP टेक्नोलॉजी से लैस हों, और बड़ी संख्या में उपलब्ध हों.

कालवारी क्लास पनडुब्बियां बेहतरीन हैं, लेकिन P75I के तहत मिलने वाली नई पनडुब्बियां तकनीक में एक कदम आगे होंगी और हमारी नौसेना की भविष्य की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करेंगी. यह फैसला लंबी अवधि की जरूरतों और समुद्री खतरों को ध्यान में रखकर लिया गया है.

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