Indian Navy submarines Project 75I Scorpene: भारतीय नौसेना (Indian Navy) अपनी पानी के अंदर की ताकत को कई गुना बढ़ाने वाली है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) एक लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा के दो बड़े समझौतों पर साइन करने जा रहा है. ये समझौते प्रोजेक्ट-75I के तहत 6 नई पनडुब्बियां और तीन और स्कॉर्पीन क्लास (Scorpene-Class) पनडुब्बियां शामिल करने के लिए हैं. तो चलिए, जानते हैं क्या है ये पूरा 'अंडरवॉटर प्लान' और कैसे ये हमारी नौसेना को और भी मजबूत बनाएगा.
Project-75I- 70,000 करोड़ का मेगा प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट-75I भारत के सबसे बड़े रक्षा खरीद प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसकी कीमत करीब 70,000 करोड़ रुपये है. इसके तहत इंडियन नेवी को 6 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां मिलेंगी.
खासियतें- ये पनडुब्बियां एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम से लैस होंगी, जिसका मतलब है कि ये बिना सतह पर आए दो हफ्ते तक पानी के अंदर रह सकेंगी. ये आम पनडुब्बियों की 48 घंटे की क्षमता से कहीं बेहतर है. इससे उनकी स्टील्थ क्षमता यानी छिपने की काबिलियत और भी बढ़ जाएगी. वहीं, इनमें आधुनिक सेंसर और लेटेस्ट हथियार भी लगे होंगे.
कौन बनाएगा?- मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, जर्मनी की थाईसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के साथ मिलकर इन्हें बनाएगी. TKMS अपनी डिजाइन और टेक्नोलॉजी भारत को 100% ट्रांसफर करेगा, जिससे हम खुद भी पनडुब्बियां बना सकेंगे.
कब तक मिलेंगी?- पहली पनडुब्बी कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के सात साल बाद मिलेगी, और बाकी पनडुब्बियां उसके बाद हर साल एक-एक करके तैयार होंगी. 2030 के दशक के बीच तक ये पूरी तरह नौसेना में शामिल हो जाएंगी.
तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से मिलेगी ताकत
दूसरा बड़ा सौदा लगभग 36,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है. इसमें तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियां बनाई जाएंगी. ये वही 'कलवरी क्लास' पनडुब्बियां हैं जो पहले प्रोजेक्ट-75 के तहत मिली थीं.
कौन बनाएगा?- MDL, फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ मिलकर इन्हें तैयार करेगा. ये पनडुब्बियां पिछली वाली से थोड़ी बड़ी होंगी और इनमें ब्राजील को दी गई पनडुब्बियों जैसे डिजाइन सुधार भी होंगे.
स्वदेशी और एडवांस- इनमें 60% भारतीय सामग्री होगी. इनमें एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स, बेहतर इंजन और ज्यादा सहनशक्ति होगी.
कब तक मिलेंगी?- MDL ने वादा किया है कि ये पनडुब्बियां कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के 6 साल के अंदर मिल जाएंगी. P-75I के मुकाबले ये जल्दी नौसेना में आ जाएंगी.
क्यों जरूरी हैं ये सौदे?
भारतीय नौसेना को इंडियन ओशन रीजन (IOR) में बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर चीन की बढ़ती समुद्री मौजूदगी और पाकिस्तान द्वारा चीन से आठ हेंगोर क्लास पनडुब्बियां खरीदने के बाद.
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने दिसंबर 2024 में बताया था कि नौसेना का फोकस बाहरी ताकतों का मुकाबला करने पर है. उन्होंने कहा था, ‘हम जानते हैं कि कौन क्या कर रहा है और कहां कर रहा है.’
ये नई पनडुब्बियां भारत की पानी के अंदर निगरानी, पनडुब्बी-रोधी युद्ध और लंबी दूरी के हमलों की क्षमताओं को बहुत बढ़ा देंगी. इससे समुद्री क्षेत्र में भारत का दबदबा और मजबूत होगा.
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