Indian Navy will get SOV-400 mini submarine: भारतीय नौसेना अपनी समुद्री ताकत को एक नया आयाम देने जा रही है. जिसके लिए बेड़े में एक मिनी-पनडुब्बी शामिल होगी, जो पानी के भीतर दुश्मनों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, लार्सन एंड टुब्रो (L&T) डिफेंस ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. कंपनी ने अपनी स्वदेशी रूप से डिजाइन की गई मिनी-पनडुब्बी, SOV-400, के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ फर्म से सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया है. आइए इसकी खूबियों पर एक नजर डालते हैं.
क्या है SOV-400 मिनी-पनडुब्बी की खासियतें?
SOV-400 एक पूरी तरह से इन-हाउस यानी देश में ही डिजाइन की गई मिनी-पनडुब्बी है. जिसे अंडरवाटर प्लेटफॉर्म्स में दशकों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए डेवलप किया गया है. करीब 400 टन वजनी यह पनडुब्बी सीक्रेट मिशन, निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और तटीय रक्षा के लिए डिजाइन की गई है.
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह विशेष रूप से कम पानी वाले क्षेत्रों में प्रभावी है, जिससे यह नौसेना के विशेष बल मार्कोस जैसे कमांडो ऑपरेशंस के लिए एक आदर्श प्लेटफॉर्म बन जाती है. साथ ही, इसकी मल्टीरोल खूबी और चुपचाप काम करने की क्षमता इसे दुश्मन के लिए एक बड़ा खतरा बनाती है.
SOV-400- पूरी तरह से स्वदेशी पनडुब्बी
इस प्रोजेक्ट को भारतीय नौसेना की रक्षात्मक क्षमता को बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है. 2009 में, नौसेना ने शुरू में दो मिनी-पनडुब्बियों को अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बनाई थी.
ऐसे में, SOV-400 के साथ भारत के पास अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक स्वदेशी पनडुब्बी होगी. जो न केवल देश के निजी क्षेत्र के रक्षा उद्योग को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करेगा.
इंडियन डिफेंस कंपनी की बढ़ेगी ग्लोबल धाक
L&T की SOV-400 मिनी-पनडुब्बी न केवल घरेलू उपयोग के लिए है, बल्कि यह भारत के निर्यात के लिए भी महत्वपूर्ण है. L&T 2025 तक सैन्य हार्डवेयर निर्यात में $5 बिलियन का आंकड़ा पार करने के भारत के व्यापक लक्ष्य के साथ अपनी पनडुब्बियों को निर्यात बाजार में लाने की तैयारी में है.
वहीं SOV-400, आदम्या, अनोघ और माया जैसी अन्य मानव रहित यानी ऑटोमैटिक अंडरवाटर वाहनों AUVs के साथ, अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के लिए L&T भी अपनी धाक जमाने में सफल रहेगा.
इतना ही नहीं, यह भारत को एक विश्वसनीय और लागत-प्रभावी रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में विश्व मंच पर एक मजबूत स्थिति में खड़ा करेगा. खासकर दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में जहां इस तरह की कॉम्पैक्ट पनडुब्बियों की मांग बढ़ रही है.